डरावनी हॉस्टल कहानी: रात 2:30 बजे मेरे रूममेट रवि के साथ क्या हुआ
मैं रास्ते भर यही सोचता हुआ जा रहा था कि पता नहीं hostel कैसा होगा वहाँ के student कैसे होंगे उस दिन धूप थी नहीं और hostel पहुँचने से पहले ही बारिश भी शुरू हो गयी. शिवम ने बताया मैं जैसे-तैसे भीगता हुआ हॉस्टल पहुंचा.
अपने रूम का दरवाजा खोला तो सामने पाँच बेड थे. तीन लड़के वहाँ पहले से ही बैठे हुए हैं. मैंने उन्हें देखते ही हेलो किया. से दो लड़कों ने मेरा सामान शिफ्ट करने में मदद की. और जो तीसरा लड़का वहाँ बैठा था उसके हाथ में कोई बुक थी. उसने पढ़ते हुए एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर चेहरा नीचे कर लिया. मैंने इस बात पे इतना ध्यान. क्योंकि मैं अभी वहाँ के माहौल को समझना चाहता था वो दोनों लड़के कहते हैं अंदर जा के कपड़े change कर ले फिर बात करते हैं मैंने अपने कंधे पर टंगा बस्ता एक side रखा उसमें से कपड़े निकाले और. चला गया मुझे बहुत भूख लगी थी. बाहर आ के मैंने अपने बैग से टिफिन निकाला. और उन लड़कों से कहा कि माँ ने खाना बांध के दिया है. तुम लोग भी मुझे ज्वाइन करो.
उसमें से एक लड़के ने कहा नीचे. canteen में खाना गर्म करवा लेते हैं. फिर साथ बैठ के खाएंगे. अब हम इस रूम में चार लड़के थे. हमने उस चौथे लड़के को भी आवाज दी कि हमारे साथ चलो. उसने वैसे ही किताब देखते हुए अपनी नजरें ऊपर की और मना कर दिया. हम सीढ़ियों से नीचे आए और कैंटीन में जा के साथ बैठ के खाना खाते हैं. वो दोनों लड़के मुझे बता रहे थे वो ज्यादा किसी से घुलता-मिलता नहीं है. उसका नाम था रवि. मैंने कहा कोई. अभी थोड़े दिनों में हमारी दोस्ती हो जाएगी और बातचीत भी
खाना खत्म करके हम वापस ऊपर आए तो रवि अपने bed पे सो चुका था उन दोनों लड़कों ने मुझे कहा तुम वो वाला bed ले लो बाकी कल देखते है क्योंकि time का. फ़ी हो रहा है और सुबह classes भी है मैं पहली बार ऐसे घरवालों से दूर किसी hostel में आया था नई जगह है और मुझे ठीक से नींद नहीं आती सारी रात में करवटें बदलता रहा
सुबह जब मेरी. नहीं खुली तो उन लड़कों ने मुझे उठाया. मैं जल्दी से नहा-धो के उनके साथ कॉलेज के लिए निकल गया. दिन तो जैसे-तैसे गुजर जाता है. शाम को वापस जब हॉस्टल लौटे तो कमरे में आते ही कुछ अजीब सा लगा. पिछली रात तो ऐसी कोई feeling नहीं आती पर अब मुझे ना जाने क्यों वहाँ अच्छा सा नहीं लग रहा था ऊपर से Ravi का अजीब behaviour उसने मुझसे तो छोड़ो किसी भी लड़की से बात नहीं की उस. हम तीनों काफी देर तक बैठे बातें करते रहे जब हम सो गए तो रात के किसी वक्त बारिश शुरू हो गई थी मेरी आँख खुलती है रात के ढाई बजे के आस-पास बाहर से बारिश की आवाज काफी तेज आ रही थी. मौसम ठंडा हो गया था अब और मैंने चद्दर को अपने पैरों से खींच के ऊपर कर लिया. मेरा बेड कुछ इस तरह से था कि पैरों के पास रवि का बेड है.
मेरी आँखें थोड़ी देर ही खुली होंगी. बिजली की चमकती रौशनी में. दिखाई देता है कि रवि अपने बेड पर बैठा हुआ है. मैं लेटा सोचने लगा कि रात के इस टाइम ये बैठा क्या कर रहा है? क्योंकि ना तो कमरे में कोई लाइट जली थी, ना उसके हाथ में कोई फोन था, ना कोई किताब. अँधेरे में पढ़ाई करेगा भी तो कैसे? लेकिन वो बैठा कुछ इस तरह से था जैसे कुछ पढ़ रहा हो. थोड़ी देर तक उसे ऐसे ही देखने के बाद मैंने रियलाइज़ किया. कि वो बस बैठा नहीं है, वो हिल रहा है. और बहुत. अजीब तरह से हिल रहा है. बाहर से जब-जब बिजली की रौशनी आती है तो उसकी मूवमेंट मुझे दिखाई देती है. मैंने देखा कि उसका चेहरा काँप रहा है और वो कुछ बोल रहा है. उसकी आँखें बंद थी. मैं उसे कुछ. तो चाहता था पर सच बताऊँ तो मेरी हिम्मत नहीं हुई. मैं यूँ ही लेटा रहा और दोबारा सो गया.
सुबह जब उठा तो मैंने सोचा कि उन दोनों लड़कों को बताऊँ कि नहीं? उस टाइम पर मैंने कहीं ना कहीं इस बात को. कर दिया किसी से कुछ भी नहीं कहा दिन भर तो सारा वक्त college में गुज़रता रात में भी कुछ ना कुछ notes वगैरह बनाने में लगे रहते हैं और इस बात को यूँ ही चार पाँच दिन हो गए इस बीच. दोबारा कुछ ऐसा नोटिस भी नहीं किया
लेकिन एक रात मुझे फिर से कुछ महसूस हुआ. हम सोए हुए थे और मुझे कुछ हिलने की आवाज आई. मेरी आंख खुली तो सिरहाने पर रखा फोन देखा. के ढाई बजे थे मैंने देखा कि दोनों लड़के तो सो रहे हैं पर रवि अपने bed पे नहीं था कमरे में अँधेरा था मैंने अपने आसपास देखा तो वो खिड़की के पास खड़ा है face उसका दीवार. की तरफ था और मुझे पीछे से इतना पता लग रहा था कि उसने अपने दोनों हाथों को अपने मुँह पे रखा हुआ है. और वो कोहनियाँ हिला रहा है. जैसे किसी बर्ड को आपने ओढ़ते हुए देखा होगा बिल्कुल वैसे ही कोहनी हिलाते हुए. वो कंधे हिलाते हैं और अपना सिर झटकने लगा.
मैंने एक बार को सोचा रवि को पूछूँ कि वो ठीक तो है ना. अपने साथ वाले दोनों लड़कों को भी देख रहा हूँ. क्या उन्हें किसी तरह की कोई आवाज नहीं आ रही? ये उठे क्यों नहीं. मेरे मन में डर सा बैठ गया और मैं लेटा रहा. मैंने खुद को इस तरह से ढक लिया था कि मेरी कोई भी मूवमेंट उसे ना दिखाई दे. और इसी डर के साथ कब-कब में मुझे नींद आ गई पता नहीं.
अगले दिन भी मुझे उन दोनों. लड़कों ने जगाया मेरे दिमाग में रात वाली बात घूम रही थी. उस दिन मैंने लंच टाइम में उन दोनों लड़कों से बात की. मैंने उन्हें कहा यार मुझे रवि को ले के कुछ बात करनी है. देखो मुझे गलत मत समझना. या रवि को कोई बीमारी तो नहीं है? वो पूछते क्यों? मैं थोड़ा चुप हो गया. दिन के टाइम मैंने उसे कई बार कॉलेज में देखा है. उसमें कभी कोई ऐसी-वैसी बात नहीं लगी. देखो मैंने रात. दो बार ये नोटिस किया है कि वो आधी रात को कमरे में खिड़की के पास जा के अजीब-अजीब हरकतें करता है. वो दोनों पूछते कैसी अजीब हरकतें हैं? फिर मैंने उन्हें वो सब बता दिया जो अभी तक देखा था और महसूस किया था. वो दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे.
तब उन दोनों लड़कों में से एक ने बताया कि अभी कुछ दिनों पहले मैं छुट्टी ले के अपने घर गया था. तब दूसरे वाले लड़के ने कहा हाँ उस रात की बात मैं तुम्हें बताता हूँ. इस. जाने के बाद कमरे में हम दोनों ही थे. जब मैं सो रहा था तो मुझे रात के किसी वक्त ऐसा लगा जैसे मेरे पैरों की उँगलियों के बीच में कुछ फंसा हुआ है. पहले तो मुझे लगा कोई सपना देख रहा हूँ. पर जब ये चीज काफी. होती रही तो मेरी आँख खुल गई. तब मैंने देखा कि मेरे पैरों के पास रवि खड़ा है. और उसने अपने हाथ की उँगलियों को मेरे पैरों के बीच में फंसा रखा है. वो कुछ बोलता हुआ अपनी उँगलियों को घुमा रहा है. देखते ही मैंने अपने पैरों को झट से पीछे किया. और रवि को आवाज दी. तू ये क्या कर रहा है? उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया. उसकी आंखें बंद थी. उसने अपने हाथों को पैरों से हटाया और अपने बिस्तर की ओर घूम गए. थोड़ा हिलते हुए नीचे बैठा और एकदम से बिस्तर पे गिर पड़ा. मुझे लगा उसके साथ कोई परेशानी है. वो नींद में चलता फिरता है और उसे पता नहीं होता कुछ भी. इसके अलावा तो हमने कभी कुछ नहीं देखा. पर तुम जो कह रहे हो हमें लगता है ऐसा हुआ होगा.
शिवम ने बताया वो दोनों लड़के उसके साथ काफी टाइम से रह रहे थे. तो उसके साथ ढल गए और उन्हें पता था कि ऐसा-ऐसा कुछ है. जैसे उन्हें आदत हो गई थी. की पर मैंने तो सोच लिया था कि उससे बात करूँगा कि भाई चक्कर क्या है? ना तो तुम किसी से घुलते मिलते हो, ना बात करते हो सोच लिया था कि मौका मिलते ही पूछूँगा लेकिन मुझे क्या पता था ये रात मेरे लिए इस room. आखरी रात साबित होगी.
वो दोनों लड़के अपने दोस्त की बहन की शादी में गए हुए थे. वो कह रहे थे कि हम टाइम से आ जाएंगे. और रात के ग्यारह बजे तक भी जब वो नहीं आए तो मैं सोने चला गया. उस टाइम पर मेरे दिमाग से ये सब चीजें निकल चुकी थी. क्योंकि होता है ना जब कोई चीज आपके साथ रेगुलर हो रही हो तो याद रह जाती है. पर ऐसा रोज-रोज नहीं होता था वहाँ. मैं सो चुका था और रात के किसी वक्त मुझे. आती है जैसे किसी ने मेरा नाम पुकारा
मेरी आँख खुली तो मैंने सिरहाने पर रखा फोन देखा. ढाई बजने में दस मिनट बाकी थे. अब तक यहाँ जो भी हुआ था वो ढाई बजे के आसपास ही हुआ. मैंने अपने आस-पास देखा उन दोनों लड़कों में से कोई भी नहीं था. मुझे लगा अब तो सुबह ही आएंगे. हो सकता है मैंने कोई सपना देखा हो. मैं जब सोने लगा तो दोबारा से आवाज आई. इस. आवाज रवि की लगी उसने कहा शिवम मेरे दोस्त इधर आ
मैंने फोन की लाइट जलाई तो वो बिस्तर पे था नहीं बिजली का बटन दबाया तो लाइट भी गई हुई थी. शिवम. दोस्त इधर आ आवाज खिड़की की तरफ से आ रही थी. टॉर्च की लाइट जलाई मैं खिड़की की तरफ आया. खिड़की तो बंद है फिर आवाज कहाँ से आ रही है. शिवम मेरे दोस्त इधर आ. आवाज़ बाहर से आ रही थी मैंने आहिस्ता से खिड़की खोली तो खिड़की के बाहर नीचे वाला जो floor है उनकी खिड़की के ऊपर जो छज्जा बना है Ravi वहाँ पर अपने दोनों घुटनों को मोड़ के बैठा हुआ है और ऊपर देख. हँस रहा है वो आपके इशारे से मुझे आवाज़ दे रहा है शिवम मेरे दोस्त इधर आ.
मैं उसे देखते ही इतना डर गया कि मैंने सब कुछ वहीं छोड़ा और सीधा नीचे की तरफ भागा. मैं एक बात और बताता हूँ वो जिस छाछे पे था. हमारी और उनकी खिड़की के बीच आराम से आठ-दस फीट का गैप होगा. वो वहाँ कैसे पहुँचा? मैंने नीचे आ के सिक्योरिटी गार्ड को बताया. एक गार्ड जल्दी से मेरे साथ ऊपर आया ये देखने. आते ही रूम का दरवाजा खोला तो अँधेरा हो रहा था. लाइट का स्विच ऑन किया तो देखा कि रवि अपने बिस्तर पे सो रहा है. सिक्योरिटी गार्ड मुझे देखने लगा जैसे मैं कोई उसके साथ प्रैंक कर रहा था. कहा मैं सच कह रहा हूँ और अभी तक तो यहाँ लाइट भी नहीं थी. मैं उसे खिड़की के पास ले के गया तो खिड़की बंद है. गार्ड मुझे कहता नीचे वाली खिड़की कितनी नीचे है. कोई आम आदमी वहाँ. जाएगा और वो सो रहा है देखो आप मैंने कहा अरे मैं सच कह रहा हूँ
हमारी आवाज सुन के रवि उठ के बैठ गया बोला क्या हुआ शिवम? सिक्योरिटी गार्ड मेरी तरफ देखने लगा. इसके बाद मैंने रवि के साथ रुकने से तो मना कर दिया. मैं सारी रात दूसरे लड़कों के साथ किसी और कमरे में रहा. मुझे नींद नहीं आती बस चुपचाप लेटा हुआ था.
अगले दिन मैंने हॉस्टल के एडमिन से बात की कि मेरा. change कर दीजिए और मेरा luck अच्छा था कि उनके पास rooms available थे और उन्होंने ज्यादा सवाल जवाब भी नहीं किए और management ने मेरी complaint के बाद रवि के घरवालों से बात की घर वालों ने. है कि इसे कभी-कभी ऐसे दौरे पड़ते हैं. पर शिवम ने कहा जो भी उसने देखा था और महसूस किया था. वो इतना नॉर्मल भी नहीं था जितना उसके घर वालों ने बताया. उसके साथ सच में कुछ तो था.
इस. बाद में जब तक उस हॉस्टल में रहा मैंने रवि से कभी भी आई कांटेक्ट तक नहीं किया. वो सामने से आता दिखाई दे जाता तो मैं रास्ता बदल देता हूँ. थोड़े दिनों बाद उन दोनों लड़कों से भी बात हुई. तो वो बताते. कि हम भी उसके साथ रूम में नहीं रह रहे अब ओके नहीं दूसरे लड़कों के साथ है बाद में रवि की कई और कंप्लेंट गई तो उसके घर वालों को बुला के कहा कि पहले आप इसका इलाज करवाइए. कहीं ना कहीं स्टाफ. भी लगने लगा था उसके साथ कुछ तो अजीब है कुछ तो बहुत अलग है जो सिर्फ उसके परिवार वाले जानते है और वो किसी को बता नहीं रहे hostel वालों ने उसका सामान बाँध के दिया और वो चला गया इसके बाद हमें उसकी. खबर नहीं मिलती वो कैसा है, कहाँ है?
Comments
Post a Comment