गाँव के कब्रिस्तान और डरावनी बावड़ी का रहस्य: जब सोनू का सामना हुआ एक प्रेत आत्मा से
वो मार्च का महीना था और उसकी छोटी बुआ की शादी थी। सोनू की बड़ी बुआ को और सोनू के परिवार को शादी से एक महीना पहले ही बुलाया गया था। उसे हर तरह की जानकारी पता करने का बड़ा शौक था, कहते हैं ना, वो बड़ा ही जिज्ञासु लड़का था। तो सोनू को गाँव आए हुए अभी पाँच दिन ही हुए थे। और उसका गाँव में एक लड़का काफी अच्छा दोस्त बन चुका था जो सोनू से एक साल छोटा था।
गाँव में सोनू उसके साथ पूरा गाँव घूम रहा था तभी बड़ी बुआ के घर बैठे बैठे और सोनू ने उस गाँव वाले दोस्त के साथ मिलकर प्लान किया कि उस गाँव के पास वाले जंगल से खरगोश पकड़कर लाएँगे और यहाँ से जाते वक्त वो खरगोश साथ ले जाकर पालेंगे।
वो तीनों एक शाम गाँव से निकलकर पास के घने जंगल में पहुँचे और उस वक्त शाम के छह बजे रात जैसा मौसम हो रहा था। इसलिए अचानक बरसात भी शुरू हो गयी और अँधेरा भी बहुत जल्दी हो गया। सोनू और बाकी घर के लोग घर जाने की सोच रहे थे और उन्हें घर जाना भी तो था।
तो वो लोग खरगोश पकड़ने का प्लान रद्द करके वापस घर की ओर निकल रहे थे। तभी सोनू के गाँव वाले दोस्त ने कहा, "अब मुझे एक जगह पता है जहाँ काफी खरगोश मिल सकते हैं, शायद वहाँ मिलें।" और ये बात सोचकर वो तीनों उस जंगल की तरफ बढ़ गए।
सोनू और उसके फुफेरे भाई को पता नहीं था कि वहाँ पर कोई कब्रिस्तान भी है। सोनू का दोस्त आगे चल रहा था और सोनू और उसके बुआ का लड़का उसके पीछे पीछे जा रहे थे। जहाँ पर सिर्फ कब्रिस्तान शुरू हुआ था, वही एक पुरानी बावड़ी बनी हुई थी।
उस बावड़ी के पास एक जवान लड़की बैठकर सिसक सिसक कर रो रही थी। वो बहुत जोर जोर से रो रही थी। वो ना तो किसी की तरफ देख रही थी और ना ही किसी से बातें कर रही थी, बस रोए जा रही थी। तो सोनू का दोस्त बोला, "रहने दे, चल चलते हैं, रात होने वाली है।"
सोनू और उसके भाई ने बात मान ली और जब वो लोग कब्रिस्तान के अंदर वाले रास्ते से वापस जा रहे थे तो वहाँ बहुत तेज हवा चल रही थी। जिसकी वजह से दोनों तरफ की कब्रों के ऊपर पड़े फूल और धूल मिट्टी उड़ रही थी। तभी सोनू की नजर एक कब्र पर पड़ी एक कोटेदार चुनर पर पड़ी।
वो चुनर उस कब्र पर से उड़कर दूर जा गिरी थी। तो सोनू ने दौड़कर वो उठा लाया और उस कब्र पर वापस से उसे उड़ा दिया और उसके ऊपर एक बड़ा सा पत्थर रख दिया जिससे कि वो हवा में ना उड़ जाए। उसके बाद वो तीनों वापस आ रहे थे तभी उस बावड़ी के अंदर से किसी लड़की के चीखने की आवाज आयी।
तो सोनू दौड़कर उस बावड़ी की ओर गया। गाँव वाला दोस्त गुस्सा करते हुए बोला, "उस तरफ मत जाओ, वहाँ अक्सर काला जादू होता है।" पर हमारे सोनू के लिए तो ये सब बिल्कुल नया था। इसलिए वो और उसकी बुआ का लड़का उस कुएँ के अंदर झांक कर देखने लगे।
और उन्होंने देखा कि उस बावड़ी के अंदर एक इंसान का कंकाल जैसा कुछ पड़ा हुआ है। और उस कंकाल पर चावल, कटा हुआ नींबू और सिंदूर भी पड़ा हुआ था। उन्होंने देखा कि उस कंकाल पर एक काला साँप रेंग रहा था। वो नज़ारा वाकई में उस मौसम के साथ काफी डरावना लग रहा था।
सोनू जोर से चीखा और उसे एक झटका सा लगा और वो वहाँ से भागने लगा। उसके दोस्त को भी कुछ समझ नहीं आया पर वो दोनों भी सोनू के पीछे पीछे दौड़े। दौड़ते दौड़ते उनकी नज़र उस बावड़ी के पास पड़ी जहाँ थोड़ी देर पहले एक लड़की बैठी रो रही थी पर अब वहाँ कोई लड़की नहीं थी।
लेकिन उस जगह पर वो चुनर पड़ी हुई थी जिसे सोनू ने कब्र पर पत्थर के नीचे दबाया था। वो तीनों बेतहाशा दौड़ते रहे और उनकी दौड़ तब तक नहीं थमी जब तक की वो तीनों गाँव नहीं पहुँचे। सोनू के गाँव वाले दोस्त ने उसे समझाते हुए कहा, "हमारे साथ जो कुछ भी हुआ वो घर पर मत बताना।"
"नहीं तो तुम्हारे घरवाले मुझे बोलेंगे कि मैं तुम लोगों को वहाँ लेकर गया था।" और उसके बाद वो तीनों चुपचाप अपने घर चले गए। उस हादसे के कुछ वक्त बाद सोनू थोड़ा स्थिर तो हो गया। लेकिन वो नहीं जानता था कि उसके साथ अभी क्या घटने वाला है।
उस रात सोनू खाना खाकर अपनी बड़ी बुआ के छोटे बेटे के साथ बातें करते करते रात के दो बजे सो गया। सोनू की अचानक नींद खुली। कोई आवाज उसके कानों में गूँज रही थी इस वजह से उसकी नींद टूटी। पूरी कमरे में आँखें फाड़ कर देखा पर वहाँ कुछ भी नहीं था, लेकिन फिर भी आवाज़ बराबर आ रही थी।
डर के मारे सोनू को बाथरूम आ गयी लेकिन उनके गाँव में घर के अंदर टॉयलेट नहीं था। जिस वजह से उसे घर से बाहर जाना ही पड़ा। उसने भाई को जगाया लेकिन भाई गहरी नींद में सोया हुआ था। इसलिए जब सोनू से सब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो खुद ब खुद डब्बा उठाकर घर के बाहर सामने मैदान में जाकर बैठ गया।
पेट हल्का करके जब सोनू वापस अपने घर की तरफ बढ़ रहा था तो उसे अपने पीछे किसी के चलने की आहट सुनाई दी। जैसे कोई धीरे धीरे बढ़ते हुए उसके साथ साथ चल रहा था। पीछे पलटकर देखने की सोनू की हिम्मत नहीं थी, वैसे भी बहुत घना अंधेरा था।
हालांकि सोनू के हाथ में एक टॉर्च थी मगर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो पीछे घूमकर टॉर्च मार कर देखे कि आखिर ये आवाज किसकी चलने की है। मगर फिर भी उसे डर तो लग ही रहा था और दिमाग में एक सवाल भी आ रहा था कि आखिर इतनी रात गए उसका पीछा कर कौन रहा है।
उसने अपने क़दमों की रफ़्तार बढ़ा ली मगर जैसे जैसे वो तेज़ हो रहा था वैसे वैसे उसके पीछे से किसी और के चलने की आवाज भी तेज़ होती जा रही थी। अब सोनू से रहा नहीं गया। उसने टॉर्च की लाइट जलाई और पीछे मुड़कर देख लिया मगर वहाँ पीछे कोई नहीं था।
दूर दूर तक बस मैदान और खेत थे। उसके अलावा वहाँ कुछ भी नहीं था। सोनू को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? कहीं उसके कान खराब तो नहीं हो गए? उसने साफ-साफ किसी और के भी कदमों की आवाज सुनी थी। अब उसे डर लगने लगा।
उसने दौड़ना शुरू कर दिया। अभी उसने टॉर्च के मध्यम सी रोशनी के सहारे दौड़ना शुरू किया ही था कि तभी एकदम से उसके सामने कोई आ खड़ा हुआ। वो एकदम से ठिठक कर रुक गया। उसने सिर उठाकर टॉर्च की रोशनी के साथ जब ऊपर देखा तो पाया कि वो एक लड़की है। वही लड़की जो शायद उस कब्रिस्तान के पास बैठकर रो रही थी।
उसने टॉर्च की रौशनी धीरे धीरे उस लड़की के चेहरे पर डाली तो उसका चेहरा देखकर सोनू के पैरों तले की जमीन खिसक गयी। उस लड़की का चेहरा बहुत ही ज्यादा डरावना था। उसकी आँखें पूरी फ़ेद थीं और चेहरे पर जगह जगह से कटे फटे के निशान थे। उसका पूरा चेहरा ऐसा था जैसा किसी आम इंसान का तो हो ही नहीं सकता।
उसके हाथ-पैर भी बिल्कुल सड़े-सड़े से दिखाई पड़ रहे थे। और तो और उसके दोनों पैर भी पीछे की ओर मुड़े हुए थे। सोनू समझ गया कि हो ना हो, ये लड़की कोई इंसान नहीं बल्कि ये कोई प्रेत आत्मा है। मगर अब उसे ये समझ में नहीं आ रहा था कि वो यहाँ से बचकर अपने घर कैसे पहुँचे।
मगर सोनू वो डरा नहीं, उसने हिम्मत दिखाई और वो जोर शोर से हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा। उसके ऐसा करते ही वो लड़की एकदम से पीछे हटने लगी और फिर थोड़ी दूर जाकर हवा में कही गायब सी हो गयी। इसके बाद तो सोनू ने ना आव देखा ना ताव।
वो सीधे दौड़ते दौड़ते गिरते पड़ते जैसे तैसे घर पहुँचा और जाकर वो रजाई में दुबक गया। मगर वो सब क्या था, ये आज तक सोनू को समझ में नहीं आया। क्या वो सच था या बस एक सपना। खैर सोनू आज बाईस साल का है मगर आज भी वो रात याद करते ही वो डर के मारे काँपने लग जाता है।
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