सुनसान रास्ते का वो खौफनाक राज़: एक सच्ची चुड़ैल की आपबीती
मेरा नाम अमन है। पूरा नाम अमन खान। मैं एक बहुत ही सफल बिजनेसमैन हूँ। मेरी एक बीवी है और दो छोटे-छोटे बच्चे। आप कह सकते हैं कि बहुत ही प्यारी family, complete family है मेरी। अजीब इसलिए लगता है क्योंकि मेरे साथ ही वो घटना घटी जिसे मैं आज तक नहीं भुला पाया। वो हर समय मेरे जहन में तैरती रहती है।
मेरी उम्र पैंतालीस साल है और मेरी शादी चालीस साल की उम्र में हुई थी। मैंने शादी इतनी late क्यों करी? उसके पीछे भी एक बहुत बड़ी वजह या फिर आप कह सकते हैं कि ये घटना आज भी वो घटना वो हादसा मेरे दिमाग में ही है।
जब भी रात में मैं सोता हूँ, तो हादसा मेरे सपनों में आज भी आता है। आज भी जब मैं किसी सुनसान रास्ते को देखता हूँ, तो मेरे पूरे जिस्म में सिहरन पैदा होने लगती है। आप कह सकते हैं कि मैं पूरी तरीके से डर जाता हूँ। आज भी मैं सुनसान रास्तों पर अकेला नहीं जाता।
बात उन्नीस सौ नब्बे की है। ये वो दौर है जिसे लोग आज भी याद करते हैं। मैं तो कभी चाहकर भी नहीं भूल सकता। मैं अपने घर का इकलौता लड़का था। आप समझ सकते हैं कि अपने माँ-बाप की इकलौती औलाद। मेरे माँ-बाप ने मुझे बहुत ही नाज़ों से पाला था।
उसका अंजाम ये हुआ कि मैं थोड़ा सा बिगड़ गया, थोड़ा सा शरारती हो गया। नब्बे के दौर में शरारती लोगों को बिगड़ा हुआ कहा जाता था। उस वक्त के लोगों का शरारत करने का अंदाज थोड़ा अलग था। मैं बारहवीं का student था।
हमारे गाँव से करीब पाँच kilometre दूर हमारा school था। हमारे अब्बा ने हमें एक cycle लाकर दे दी और मैं उसी cycle से पाँच kilometre का सफर करके school जाया करता था। इम्तिहान यानी कि examination सर पर था और मुझे first आना था।
उस वक्त Intermediate के बाद बहुत कम लोगों को अच्छे college मिला करते थे। हमारे master जी ने कहा कि हमसे tuition ले लो क्योंकि मेरा गणित थोड़ा कमजोर था। मगर master जी के घर और हमारे घर का करीब दस kilometre का फासला था।
हमारे master जी ने ही tuition के बारे में हमारे माँ बाप से बात करी और फैसला ये हुआ कि कल से मैं master जी के घर पर tuition पढ़ने जाऊँगा। मेरा रोज़ का मामूल बन गया था master जी के घर पर tuition पढ़ने जाने लगा।
मगर जब पहले दिन मेरी अम्मी ने मुझसे कहा, "बेटा, एक और रास्ता गाँव के दाएँ तरफ से होकर जाता है जंगल का। उस रास्ते पर कभी मत जाना। गाँव के लोग वहाँ जाने से कतराते थे।"
मेरे दिल में ये उत्सुकता पैदा हो गयी कि उस सुनसान इलाके में ऐसा क्या है। मगर मैंने अम्मी की हाँ में हाँ मिलाई, "ठीक है अम्मी, मैं उस रास्ते से नहीं जाऊँगा। आप जहाँ से कहोगे मैं वहीं से जाऊँगा।" और मैं रोज़ जाने लगा।
मगर दिक्कत ये थी कि master साहब बहुत देर तक पढ़ाते थे। इम्तिहान सर पर था, इसलिए आते आते रात हो जाया करती थी। एक दिन मेरे दिल में ख्याल आया, "क्यों ना उस दूसरे रास्ते की तरफ से एक बार try मारा जाए? शायद वो रास्ता shortcut हो।"
वो मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई जिसमें मेरी जिंदगी बदल गयी। आज भी मैं सोचता हूँ कि क्यों मैं उस रास्ते पर गया था? आज भी मैं सोचता हूँ कि मुझे उस रास्ते पर नहीं जाना चाहिए था।
जब भी मैं master जी के पास tuition पढ़ने जाया करता था, तो हमेशा मेरे दिल में उत्सुकता रहती थी आखिर क्यों अम्मी उस रास्ते पर जाने से मना करती हैं। नौजवानों की उम्र थी।
एक दिन घर आते आते मेरे दिल में ख्याल आया कि कल tuition पढ़ने के लिए जल्दी निकलूँगा और उसी रास्ते से निकलूँगा जहाँ अम्मी मना करते थे। और मैंने यही किया। दूसरे दिन अपनी सोच के मुताबिक घर से जल्दी निकल दिया।
और गाँव के दाहिनी तरफ से मैंने अपनी cycle मोड़ दी जहाँ से निकलने के लिए मुझे मना किया गया था। जब मैं उस तरफ चल दिया, तो मैंने महसूस किया कि वहाँ पर झाड़ियाँ बहुत हैं। cycle चलाने में बहुत दिक्कत हो रही थी।
मैंने cycle वहीं पर मोड़ दी और सोचा, "कल कैंची लेकर आऊँगा और झाड़ियाँ काट लूँगा।" दूसरे दिन मैंने यही किया। कैंची लेकर निकला। रास्ते में जितनी भी झाड़ियाँ थीं, उन सबको थोड़ा-थोड़ा काटते चला गया।
ये देखकर मैं हैरान हो गया कि वहाँ से मास्टर जी के घर का रास्ता बहुत कम फासले पर था। मुझे दूसरे रास्ते से दो घंटे लगते थे और झाड़ी वाले रास्ते से मैं आधे घंटे में ही वहाँ पर पहुँच गया।
मैंने सोचा कि माँ बेकार में ही परेशान हो रही थीं। यहाँ तो मैं आसानी से आ गया। मैंने सोचा, "गाँव के लोग एक number के बेवकूफ हैं। वो यहाँ से आने के बजाय लंबे रास्ते से होकर आते हैं और इस रास्ते पर बेवजह ही डरते हैं।" मैंने तो ऐसा कुछ नहीं देखा।
वो एक सीधा रास्ता था। master जी मुझे देखकर चौंक गए। बोले कि मैं बड़ा जल्दी आ गया। तो मैंने उनसे झूठ बोल दिया। मैं आज घर से जल्दी निकल आया। फिर मेरा रोज का मामूल हो गया। मैं उसे रास्ते से जाने लगा।
अब तो मुझे वहाँ पर जाते हुए मजा आने लगा था। गाना गाते हुए अपनी ही धुन में बहुत तेजी से साइकिल चलाता हुआ चुपचाप निकल जाता। मगर एक रोज़... उस दिन गर्मी बहुत तेज थी और मैं उसी रास्ते से निकल कर जा रहा था।
प्यास बहुत तेज लग रही थी मगर पानी नहीं था। ऊपर से गर्मी भी बहुत लग रही थी। एक तरफ मैंने एक पेड़ देखा। सोचा कि थोड़ा सुस्ता लूँ एक पेड़ के नीचे। मैं आराम से बैठ गया।
रात हो चुकी थी। आज master जी काफी देर तक पढ़ा रहे थे। मैंने सोचा जल्दी ही पहुँच जाता हूँ। कौन master जी या फिर घर वाले शक करेंगे? बहुत अच्छी हवा चल रही थी और मैं बैठा यही सोच रहा था कि काश पानी मिल जाए।
अचानक मेरी निगाह एक ओर चली गयी। मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ। जिस पेड़ के नीचे मैं बैठा था, उसके ठीक सामने एक घर बना हुआ था। बहुत पुराना सा। मैंने सोचा, "इतने दिन से मैं यहाँ से आ रहा हूँ, मुझे ये घर क्यों नहीं दिखाई दिया?"
लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अँधेरे की वजह से ज़्यादा कुछ दिख नहीं रहा था। सोचा कि शायद मेरा ध्यान ना गया हो। जब घर देखा तो दिल में एक और उत्सुकता पैदा हो गयी कि इस सुनसान इलाके में कौन रहता होगा?
शायद कोई फैमिली हो, शायद कोई और हो हमारे ही गाँव का। अगर कोई लड़का होगा तो उससे मेरी दोस्ती हो जाएगी। ये सोच कर ही मेरे कदम उस घर की ओर मुड़ गए। मुझे पता ही नहीं चला।
घर के दरवाजे पर जब मैं पहुंचा तो थोड़ा सा नर्वस हो गया। सोचा कि हो सकता है घर में कोई ना हो। सोचा कि शायद उसकी कोई लड़की वगैरह होगी और उसके अब्बा काम पर गए होंगे। अगर आ गए तो मुझे देखकर क्या सोचेंगे?
फिर सोचा, "प्यास तो बहुत तेज लगी है। कोई भी हो या कोई ना भी हो, पानी की कोई दिक्कत नहीं है।" ये सोच ही रहा था कि ऐसा लगा कि जैसे कोई मेरे पास से बहुत तेजी से निकला।
क्योंकि मैं सोच रहा था, उसके अचानक निकल जाने पर मैं पूरी तरह से डर गया। जब मैंने देखा कि वो सिर्फ एक काली सी बिल्ली थी जो दरवाजे के पास से थोड़ी सी खिड़की लगी थी जो टूटी हुई थी, उसी में से घर के अंदर घुस गई।
फिर मुझे अपने आप पर ही हंसी आ गई कि मैं बिल्ली से डर गया। हिम्मत करके मैंने वो दरवाजा खटखटाया। पर कोई आवाज नहीं आई। फिर मैंने आवाज लगाई, "अंदर कोई है? क्या मुझे एक glass पानी पीला दे? मुझे बहुत तेज प्यास लगी है।"
और जो आवाज आयी तो मुझे यकीन नहीं हुआ। वो बहुत ही सुरीली किसी लड़की की आवाज थी। उसने कहा, "घर पर कोई नहीं है।" मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूं क्योंकि मैं जवान था। लड़की की आवाज सुनकर और उत्सुकता पैदा हो गई।
"शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।" मैंने फिर आवाज लगाई, "पर मुझे सिर्फ एक गिलास पानी पिला दे, मैं चला जाऊंगा।" कुछ देर बाद उसकी आवाज आयी, "रुकिए, मैं आपको पानी पिलाती हूँ।" थोड़ी देर बाद दरवाजा हल्का सा खुला।
और एक बहुत खूबसूरत सा हाथ पानी का glass लिए मेरे सामने हाजिर हुआ। उसने चेहरा नहीं दिखाया। मैंने glass ले लिया, पी लिया। मेरी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था। वो हाथ इतना खूबसूरत, इतना गोरा था कि अँधेरे में भी चमक रहा था।
मैंने पानी पिया तो मुझे एहसास हुआ कि ये पानी कुछ अजीब सा है। उसकी गंध थोड़ी अजीब सी है और थोड़ा चिपचिपा सा है। मुझे समझ नहीं आया कि यार ये क्या है। अँधेरे में उस glass के नीचे कुछ नज़र भी नहीं आ रहा था।
मैंने वो glass झुकाकर अपने हाथ में थोड़ा सा पानी लिया तो मेरी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा क्योंकि वो पानी नहीं, लाल-लाल खून था। मैंने गिलास वहीं फेंक दिया। तभी अचानक से दरवाजा पूरा खुला।
और वो खूबसूरत हाथ जिसका था, मुझे उसका चेहरा नजर आया। वो चेहरा मैं आज तक अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं भूल सकता। वो जो कुछ भी था, वो इंसान तो नहीं था। उसकी आँखें बिलकुल लाल थीं और चेहरे पर पूरी तरह से कीड़े रेंग रहे थे।
सिर पर बाल आधे जले हुए और चिपके हुए थे। बस वो हाथ ही था जो थोड़ा खूबसूरत था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब ये क्या बला है। मैं समझ गया था कि अगर मैं यहाँ यूँ ही खड़ा रहा, तो फिर मेरी जान जाएगी।
मैं जल्दी से जमीन पर से उठा और गिरते पड़ते भागते हुए अपनी साइकिल के पास आया और जैसे-तैसे अपनी साइकिल लेकर भागते-भागते घर पहुँचा। घर पहुँच कर मैंने सबको पूरी बात बता दी। मैं इतना डरा हुआ था कि मैं अपने अंदर उस चीज को रख नहीं सका।
जिसके बाद पहले तो घरवालों ने मुझे बहुत डांट फटकार लगाई और फिर बताया कि दरअसल उस रास्ते पर उस चुड़ैल का वास है। वो उसी झोपड़ी में रहती है और लोगों को मार डालती है।
जो भी उस रास्ते से गुजरते हैं, वो उनका अपना शिकार बनाती है। वो तो तुम्हारी किस्मत अच्छी थी जो तुम्हारे गले में मौलवी साहब का दिया हुआ वो ताबीज था, वरना पता नहीं आज क्या हो जाता।
उस दिन के बाद से मैंने उस रास्ते को छोड़ दिया। मगर वो चेहरा, वो घटना मेरे दिमाग में बैठ गई और ये काफी सालों तक चला। मैं बहुत परेशान रहने लगा, रातों को नींद नहीं आती थी, पर धीरे धीरे सब सामान्य हो गया।
Comments
Post a Comment