कोरोना काल का अनसुलझा रहस्य: जब मरा हुआ आदमी आया नौकरी पर!
ये वो समय था जब कोरोना वायरस का संक्रमण चारों तरफ फैला हुआ था. हर आदमी इस संक्रमण से बचने की कोशिश कर रहा था. लेकिन कोरोना वायरस किसी ना किसी को अपनी चपेट में ले ही लेता था. एक फैक्ट्री में रमेश नाम के एक व्यक्ति काम करते थे. वो अपनी ड्यूटी के प्रति बहुत ही समर्पित. है फैक्ट्री के कर्मचारी रमेश का व्यवहार फैक्ट्री के मालिक को ही नहीं बल्कि फैक्ट्री में काम करने वाले हर एक कर्मचारी को पसंद आता था वो हंसमुख स्वभाव वाला था.
लॉकडाउन घोषित हुआ तो फैक्ट्रियां बंद हो गई. सारा कामकाज ठप हो गया. दो-तीन महीने में तो फैक्ट्रियों ने अपने कर्मचारियों को घर बैठे वेतन दिया. लेकिन बिना काम के फैक्ट्री में ऐसा कितने दिन चल पाता इसलिए आप फैक्ट्रियों ने अपने कर्मचारियों को वेतन देना भी बंद कर दिया। फिर जहाँ रमेश काम करता था. उस factory में भी दो तीन महीने बाद वेतन देना बंद कर दिया।
Ramesh इस कारण lockdown के दौरान फैक्ट्री द्वारा वेतन ना दिए जाने के कारण बहुत ही मायूस रहने लगा. वो पारिवारिक जिम्मेदारियों के बढ़ते तनाव से जूझने लगा था। लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा था। और लॉकडाउन और भी बढ़ता जा रहा था। कुछ महीनों बाद. लॉकडाउन खत्म हुआ. फैक्टरियों को फिर से चलाने का आदेश हो गया।
लॉकडाउन खत्म होने के बाद वो फैक्ट्री भी स्टार्ट हो गई जिसमें रमेश काम करते थे. एक दिन फैक्ट्री के मालिक क्या देखते हैं कि ऑफिस में उनके सामने रमेश खड़े हैं. फैक्ट्री के मालिक ने जब उनको देखा तो वो चौंक उठाया. अरे रमेश तुम्हारी तो कोई खबर ही नहीं थी. इतने दिनों से तुम थे कहाँ.
तो इस पर रमेश बोले कुछ नहीं मैं बस यहाँ-वहाँ काम की तलाश में था. घर पर बहुत ही तंगी चल रही है अभी पैसों की. मैं काम पर आ गया हूँ इस बार. फैक्ट्री के मालिक खुश होते हुए बोला है तुम बहुत मेहनत से काम करते हो तुम कहीं भी काम पर जाओ जब भी जाओ तुम यहाँ आ सकते हो और अगर तुम चाहते हो तो तुम अभी से ही ज्वाइन कर सकते हो.
जिसके बाद रमेश फैक्ट्री में काम करने लगा. लेकिन साथ काम करने वाले कर्मचारियों ने अनुभव किया कि रमेश पहले से कुछ बदल गया है. वो मशीन पर काम करते-करते अचानक गायब हो जाता सबको बड़ा आश्चर्य लगता कि ये मशीन को चलता छोड़कर रमेश कहाँ गायब हो गया पहले इस तरह का रिस्क वाला कोई काम रमेश नहीं करते थे.
उनसे पूछा जाता कि इस तरह मशीन छोड़कर बाहर क्यों चले जाते हो? कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा? इस तरह पूछने पर रमेश जवाब देता है कि चिंता मत करो कुछ गड़बड़ी नहीं होगी. और फिर अपने काम में जुट जाते हैं लेकिन उनके सहकर्मियों को ऐसा लगता कि रमेश झूठ बोल रहे हैं क्योंकि उन्हें चलने की आहट सुनाई ही नहीं देती थी फिर धीरे से रमेश काम करने के साथ ओवर टाइम भी करने लगा.
एक बार रमेश से फैक्ट्री मालिक ने पूछा कि जब तुम दिन-रात फैक्ट्री में काम करते हो तो सोते कब हो? फैक्ट्री मालिक के इस सवाल पर रमेश ने हंसकर जवाब दिया। सोने से ज्यादा बड़ा बोझ परिवार का होता है साहब। आप सोना देखें या परिवार की जिम्मेदारी? वो समझ नहीं पाए किरण क्या कहना चाहते हैं?
उस रात फैक्ट्री के लगभग सारे कर्मचारी घर जाने के बाद रमेश overtime कर रहा था कि फैक्ट्री का चौकीदार किसी काम से अंदर आया। उसने देखा कि जिस seat पर बैठते हैं वहाँ पर कोई भी नहीं बैठा है पर वहाँ रखा सामान अपनी जगह से उठ रहा है और उस सामान को दूसरी ठीक जगह पर रखा जा रहा है.
समन अपने आप उड़ उड़ कर एक जगह से दूसरी जगह रखा जाता देख और किसी को भी अपने सामने ना पाता देख चौकीदार घबरा गया ये देखकर फैक्ट्री का चौकीदार बहुत ही तेजी से भूत-भूत चिल्लाता हुआ बाहर की ओर भागा और फैक्ट्री के मालिक को अंदर लेकर आया फैक्ट्री के मालिक जब उस चौकीदार के साथ अंदर आए तो उन्होंने देखा कि अपनी सीट पर बैठे काम कर रहा है.
ये देखकर फैक्ट्री के मालिक ने चौकीदार को बहुत डांटा और कहा कैसी उल-जुलूल बातें करते हो याद तो रमेश काम कर रहा है. रमेश को काम करते देख चौकीदार ने सोचा शायद उस समय अँधेरे की वजह से वो रमेश को नहीं देख पाया होगा और वो डर गया होगा.
फैक्ट्री में एक महीना काम करने के रमेश ने फैक्ट्री आना बंद कर दिया. वो अपनी सैलरी भी ले नहीं गया. फैक्ट्री के मालिक उनसे मोबाइल से भी संपर्क करने की कोशिश करने लगे हैं. लेकिन रमेश का फोन नहीं उठा. तो फैक्ट्री के मालिक ने सोचा कि शायद वो बीमार होंगे इसलिए फैक्ट्री नहीं आ रहे हैं.
इसलिए उन्होंने सोचा कि घर जाकर उनका हाल-चाल भी पूछ लो और उनका एक महीने का factory के मालिक जब उनके घर पहुँचे तो उनके घर जाकर उन्हें जो पता लगा उसे जानने के बाद वो पसीने पसीने हो गए उनके घर जाकर पता चला क्योंकि तीन महीने पहले ही मौत हो चुकी है।
फैक्ट्री के मालिक को रमेश की पत्नी की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। फैक्ट्री के मालिक ने रमेश की पत्नी को जब बताया कि उनके पति पिछली एक महीने से फैक्ट्री में काम कराया था तो वो अचरज में पड़ गए. फिर दोनों सोचने लगे कि आखिर वो कौन था जो रमेश के रूप में उनके फैक्ट्री में काम कर रहा था.
जब उन्होंने में सो जाए कि हो ना हो वो रमेश की आत्मा ही होगी। ये सोचकर वो अंदर से हिल गए हैं। फिर उन्होंने अपने आप को संभाला। फैक्ट्री के मालिक ने रमेश की पत्नी से कहा चाहे कुछ भी हो लेकिन रमेश ने अपनी ड्यूटी की और ओवर टाइम भी किया इसलिए उनका वेतन आप ले लीजिए.
फैक्ट्री के मालिक ने रमेश का वेतन ओवरटाइम मिलाकर कुल पचास हजार रुपए उनकी पत्नी के हाथ में रख दिए हैं। पैसों को देखकर रमेश की पत्नी की आँखों से आंसू बह गए। वो ये सोच रहे थे कि एक दिन वो अपने बच्चों से बात ही कर रहे थे. काश उनके पास चालीस पचास हजार रुपए होते हैं तो वो घर में ही एक छोटी मोटी दुकान खोल लेते हैं उस दिन शायद रमेश ने ये बात सुन ली होगी।
इसलिए पचास हजार रुपयों व्यवस्था करके वो हमेशा-हमेशा के लिए गायब हो गया मगर जाते-जाते उसने अपने परिवार को एक सहारा दे दिया
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