आग ने बचाई जान: जंगल में वेंडीगो के हमले की खौफनाक रात का अनुभव | मेरी आपबीती
Hello, दोस्तों मेरा नाम Peter है और ये घटना मेरी और मेरे दोस्त David के साथ घटी है. हम एक ही कंपनी में काम करते थे. एक दिन David ने मुझसे कैंपिंग और फिशिंग पर जाने का पूछा. मुझे भी इन सब चीजों का बहुत शौक था और काफी साल हो चुके थे कहीं जाए हुए, इसलिए मैंने फौरन हामी भर दी.
मेरे दोस्त David ने एक ऐसे जंगल के बारे में बताया जो हमारी जगह से लगभग तीन घंटे की दूरी पर था. हमने शनिवार का दिन तय किया. मुझे लगा कि हम पाँच छह दोस्त जाएँगे, लेकिन जब David मुझे घर लेने आया तो वह अपनी पत्नी और पाँच साल के लड़के के साथ था.
मैंने David से पूछा तो उसने बताया कि बाकी दोस्तों ने मौसम खराब होने की वजह से मना कर दिया. मैंने उनकी बातें सुनी, पर मुझे ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ा. मैं कार में बैठ गया; David चला रहा था, मैं आगे बैठा था, और उसकी पत्नी व बच्चा पीछे थे.
तकरीबन तीन घंटे ड्राइव करने के बाद हम खामोश फ़ॉरेस्ट रिज़र्व में पहुँचे. बाहर गार्ड थे जिन्होंने बताया कि मौसम खराब होने के कारण आज ज़्यादा लोग नहीं रुकेंगे. उन्होंने किसी समस्या के लिए रिज़र्व का फ़ोन नंबर दिया.
उसके बाद हमने कार को जंगल की तरफ बढ़ाया. जंगल के अंदर जाने के बाद हम एक ऐसी जगह की तलाश करने लगे जहाँ हम कैंपिंग कर सकें. हमने दिन में ही टेंट लगा लिया और सूखी लकड़ियों का इंतजाम किया ताकि रात में कैंप फायर जला सकें.
उसके बाद मैं और David मछलियाँ पकड़ने के लिए किनारे चले गए, और उसकी पत्नी टेंट में बैठी रही. करीब दो घंटे बाद हम मछलियाँ पकड़ कर वापस आए. देखा तो David की पत्नी ने खाना बनाने की सारी तैयारी कर ली थी और कैंप फायर के लिए लकड़ियाँ भी इकट्ठी कर रखी थीं.
हमने कैंप फायर जलाया. तब तक David की पत्नी ने मछलियाँ बनाने का सारा सामान निकाला, मछलियों को काटा और उसके बाद हमने उन्हें फ्राई किया. यह सब करते-करते लगभग शाम के सात बज गए थे.
फिर हमने अपने साथ लाई हुई बीयर निकाली और मछली के साथ पीने लगे. खाते-पीते हम आपस में बातें कर रहे थे. हम अपने पुराने दिनों को याद कर रहे थे जब हम कंपनी में मिले थे और कितने एडवेंचर एक साथ किए थे. बातें करते-करते हम हँस भी रहे थे.
David की पत्नी भी हमारे साथ एंजॉय कर रही थी. लगभग साढ़े आठ बज चुके थे और रात गहरी हो गई थी. हमने कैंप फायर को जलता छोड़ दिया. हमने दो टेंट लगाए थे, एक मेरे लिए और एक David और उसकी पत्नी के लिए.
उसके बाद वे अपने टेंट में चले गए. मैं कुछ देर बाहर बैठा रहा, आसमान को देखता रहा. लगभग दस बजे के करीब मैं भी अपने टेंट में जाकर सोने की कोशिश करने लगा.
जब मैं टेंट में पहुँचा, तो मुझे लगा कि बाहर का मौसम खराब होने लगा है क्योंकि आसमान में काले बादल छा गए थे. मैंने सोचा कि बारिश या आँधी आने से पहले सो जाता हूँ ताकि नींद में कोई दिक्कत न हो.
इसलिए मैं सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. एक-दो बीयर पीने से मुझे नशा होता ही नहीं; नशा होने के लिए कम से कम सात-आठ बीयर की बोतलें चाहिए. काफी देर कोशिश के बाद आखिरकार मेरी आँख लग गई.
अभी आँख लगे हुए कुछ ही घंटे हुए होंगे, कि लगभग रात के बारह-साढ़े बारह बजे मेरी आँख खुली. मुझे ऐसा लगा कि बाहर टेंट के पास कोई चल रहा है. मैंने ध्यान से देखा तो कैंप फायर की रोशनी से मेरे टेंट पर एक परछाई दिखाई दी. पहले मुझे लगा शायद David होगा.
लेकिन तभी उस परछाई में मुझे दो बड़े-बड़े सींग दिखाई दिए. ऐसा लग रहा था जैसे बाहर कोई व्यक्ति खड़ा है जिसके सिर पर बड़े सींग हों. ऐसा हो नहीं सकता था! कोई जानवर भी नहीं, क्योंकि जानवर दो पैरों पर नहीं चलते और भालू के सींग नहीं होते.
मैं थोड़ा डर गया था. तभी मुझे ऐसा लगा कि उस जीव ने मुझे देख लिया है. लग रहा था उसे पता चल गया कि मैं जाग रहा हूँ. वह जीव मेरे टेंट के पास आने लगा. मैं बहुत ज़्यादा डर गया था. मैं टेंट से बाहर निकलकर भागना चाहता था.
लेकिन मैं भाग नहीं सकता था, क्योंकि वह ठीक मेरे टेंट के बाहर खड़ा था. तभी मुझे महसूस हुआ कि उसके खरोंचने के निशान टेंट के ऊपर आ रहे हैं. देखते ही देखते वह जीव मेरे बहुत करीब आ गया और उसने मेरे टेंट पर ऐसा पंजा मारा जिससे मेरा टेंट पूरा फट गया.
और तब मैंने उस जीव को देखा. वह दिखने में करीब सात-आठ फीट लंबा था. उसके मुँह से लार टपक रही थी, और उसकी आँखों से लाल अंगारे जल रहे थे. उसके दो बड़े-बड़े सींग थे, जैसे बारहसिंगे के होते हैं. वह एकदम दुबला-पतला लग रहा था.
जैसे उसके ऊपर मांस की कोई परत न हो; उसकी हड्डियां तक दिख रही थीं. उसके हाथ इतने लंबे थे कि जमीन को छू रहे थे. उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह मुझे एक ही झटके में फाड़ कर अलग कर देगा.
यह सब देखने के बाद मैं बहुत ज़्यादा डर गया था. मैं एकदम सुन्न हो गया था. मेरे हाथ-पैर काँपने लगे थे, मैं खुद को हिला भी नहीं पा रहा था. तभी वह जीव मेरी तरफ आगे बढ़ा.
मैंने बहुत हिम्मत करके कैंप फायर के पास पहुँचा. जैसे ही मैं आग के पास पहुँचा, मैंने देखा कि वह जीव मुझसे कुछ दूरी पर रुक गया है. यह कैसे हो सकता था? तभी मैंने देखा कि वह सीधा कैंप फायर की तरफ देख रहा है. तब मुझे पता चला कि इस जीव को आग से डर लग रहा है.
तभी मैंने कैंप फायर के पास रखी कुछ लकड़ियाँ उठाईं और आग को और तेज़ किया. मैंने अपने हाथ में एक मशाल भी बना ली, ताकि वह जीव मेरे पास न आ सके. मैंने आग के कुछ टुकड़े उस जीव पर भी फेंके.
वह जीव गुर्राने लगा और गुस्से भरी नज़रों से मुझे देखने लगा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और आग के कुछ और टुकड़े उस पर फेंके. आग के टुकड़े लगने के बाद वह गरजने जैसी आवाज़ करके जंगल की तरफ भाग गया.
अब मैं बहुत ज़्यादा डर गया था. मैं David को भी नहीं उठाना चाहता था, क्योंकि अगर मैंने उसे बताया तो वह बहुत डर जाएगा. साथ में उसकी पत्नी और छोटा बच्चा भी था. इसलिए मैंने David को यह बात न बताने का सोचा.
मैं अपने टेंट के पास जाकर वहीं बैठ गया और हाथ में वही मशाल लिए रहा. मुझे महसूस हो रहा था कि वह शैतान अभी भी मेरे आस-पास ही है, मुझे घूर रहा है. वह ताक में था कि कब आग बुझे और वह हमला करे, लेकिन मैंने लकड़ियाँ डाल कर आग तेज़ कर ली थी.
ऐसे ही देखते-देखते सुबह के पाँच बज गए. पाँच बजने के बाद David अपने टेंट से बाहर निकला और मेरे पास आया. उसने मेरे फटे हुए टेंट की हालत देखी और पूछा, 'यह सब क्या हुआ?' मैंने उसे सारी बात बताई. David भी सुनकर डर गया.
मैंने उससे पूछा, 'क्या तुमने रात में कोई आवाज़ नहीं सुनी थी?' David बोला, 'हाँ, आवाज़ तो सुनी थी, पर मुझे लगा शायद कोई भालू वगैरह होगा. इसलिए मैं टेंट से बाहर नहीं आया. अपनी फैमिली को खतरे में नहीं डालना चाहता था और सोचा तुम भी टेंट में सुरक्षित होगे.'
उसके बाद हमने David की पत्नी को उठाया. जल्दी से सारा सामान पैक किया और गाड़ी में बैठकर जंगल से बाहर निकल गए. David की पत्नी हमसे पूछ रही थी कि हम वापस क्यों जा रहे हैं, जबकि हम तो दो-चार दिन रुकने वाले थे.
इस पर David ने कहा कि उसकी कंपनी से कोई अर्जेंट काम आ गया है, जिसके कारण हमारी छुट्टी कैंसिल हो गई और हमें बुलाया जा रहा है. David की पत्नी ने इसके बाद ज़्यादा सवाल नहीं किए, और हम अपने-अपने घर आ गए.
घर आने के कुछ दिन बाद David मुझसे ऑफिस में मिला और उसने बताया कि मैंने रात को जो जीव देखा था, उसे वेंडीगो (Wendigo) कहते हैं. मैंने पूछा, 'वेंडीगो, यह क्या होता है?'
David ने कहा, 'तेरी किस्मत अच्छी थी कि तू उस दिन बच गया, क्योंकि वेंडीगो एक ऐसा शैतान होता है जो लोगों को मार डालता है. अगर वह किसी को अपना निशाना बना ले, तो उसे कभी नहीं छोड़ता. तेरी किस्मत अच्छी थी कि तेरे पास आग थी, वरना वह तुझे तुरंत मार डालता.
यह सब सुनने के बाद मैं और भी ज़्यादा डर गया. उसके बाद मैंने जंगल में कैंपिंग और फिशिंग करना बिलकुल छोड़ दिया और भगवान का शुक्र मनाता हूँ.
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