भूतिया पहाड़ी रास्ते पर फँसा ट्रक और मंडराता खौफ: एक ड्राइवर का भयानक अनुभव


शहर से दूर एक बड़ी खूबसूरत सी जगह पहाड़ों पर बसा एक छोटा सा hill station जहाँ लोग घूमने जाते हैं। ऐसी जगहों पर हम drivers का काम बहुत बढ़ जाता है सामान पहुँचाने में अक्सर देरी हो जाया करती है। मौसम का भी बड़ा role होता है हमारे इस काम में खासकर पहाड़ों पर तो इस बात का ध्यान ज्यादा रखना पड़ता है।

मैं जिस जगह truck चलाता था इस route पर ढाबे है और मेरा काम होता था उन ढाबों में मुर्गियाँ supply करना। कई कई दिन लंबा सफर तय करके जाना होता था और हमें मुर्गियों के लिए अपने साथ उनका खाना भी रखना पड़ता है।

उन्हें एक बार खिला दो तो डेढ़ दो दिन तक survive कर लिया करती थी। फिर भी हम अपनी साइड से हर चौबीस घंटे के बाद ट्रक रोक रोक कर उन्हें फीड करवाया करते थे। ये प्रोसेस थोड़ा टाइम लेता है क्योंकि आपको एक नहीं कई सारी मुर्गियों को खिलाना होता है।

हम कोशिश करते थे कि जो टाइम बताया गया है उसी के अंदर deliver करें। वो दिन भी कुछ ऐसा ही था। मैंने अपने truck में सामान load करवाया और सफर पर निकल पड़ा। हमने तकरीबन बीस घंटे से ज्यादा का सफर तय कर लिया था। धीरे धीरे location के करीब पहुँचने लगते हैं।

पहाड़ी रास्तों की शुरुआत हो चुकी थी। हमारे truck में सामान ज्यादा था और गाड़ी वहाँ चढ़ने में ज़ोर लेने लगी। एकदम से झटके के साथ truck रुक गया। मेरे साथ वाला बंदा उतरा और देखा तो गाड़ी की एक कमानी टूट गयी है। बहुत ही speed ज्यादा नहीं थी और हम एक हादसे से बच गए थे उस दिन।

ये भी शुक्र है गाड़ी road के side में थी दूसरी गाड़ियों के लिए जगह थी आने जाने की। हमने गाड़ी को वहीं जाम कर दिया उसके टायरों के आगे पीछे पत्थर लगाए और सोचने लगे कि अब क्या कर सकते हैं। वो area ऐसा था कि वहाँ phone के signal भी नहीं थे।

हमें एक walkie-talkie set दिया गया था जिससे हम coordinate किया करते थे। वैसे तो ज्यादा काम नहीं आता था पर गाड़ी में रखना पड़ता है। ये हमारी job का हिस्सा है। धीरे धीरे शाम ढल रही थी और हल्का हल्का अँधेरा होने लगा। हम परेशान खड़े थे।

मेरे साथ वाला बंदा कहने लगता है मैं एक काम करता हूँ तुम यहीं रुको मैं कुछ जुगाड़ करके आगे तक जाता हूँ। क्योंकि मंज़िल पास है तो कोशिश करता हूँ किसी से मदद ले आऊँ। मैंने कहा ठीक है और कोई चारा भी नहीं है हम में से किसी एक को तो जाना ही पड़ेगा।

मैंने उसे एक walky-talky दे दिया के इसे अपने साथ रखो बातचीत में काम आएगा। वो बंदा बात करता हुआ आगे निकल जाता है और एक समय बाद कोहरे की चादर उसे ढक लेती है। मैं कई सालों से यहाँ आ जा रहा हूँ और वो रास्ता आज पहली बार बड़ा खौफनाक लग रहा था।

वैसे लोगों ने यहाँ के बारे में कई बार बताया है पर मेरे साथ पहली बार ऐसा हुआ था तो मेरे दिमाग में अजीब अजीब ख्याल आने लगे। एक सुनसान से पहाड़ पर मैं अकेला खड़ा हूँ अपने ट्रक के साथ। ना आस-पास कोई नजर आ रहा है ना कोई गाड़ी यहाँ से गुजर रही है।

बढ़ते अँधेरे के साथ पहाड़ों पर बहुत अँधेरा छा जाता है। कहीं कहीं कुछ लाइट्स दिखाई दे रही थी। मेरे एक तरफ पहाड़ का कटा हिस्सा और दूसरी तरफ ये गहरी खाई। आसपास पेड़ ही पेड़ है और बहुत सारी खामोशी। पहले तो वो दूसरा बंदा मेरे साथ था तो मुझे इतना डर नहीं लगा।

पर अब वो चला गया। यहाँ का सन्नाटा और खामोशी मुझ पे हावी होने लगती है। पहाड़ों पर वैसे भी कितने ही हादसे होते रहते हैं। मरे हुए लोगों की लाशें तक नहीं मिल पाती उनका अंतिम संस्कार तक नहीं हो पाता। दूसरा बंदा अपने साथ phone भी ले के गया था।

कि जहाँ भी उसे signal मिलेंगे वो truck के मालिक को phone करके बता देगा कि कुछ ऐसा ऐसा हो गया है। खैर वो चला गया था और मैं यहाँ अकेले अपने truck में बैठा हूँ। मुझे लगा के अभी कई घंटों का सफर तय करके आया हूँ तो थोड़ा आराम कर लेता हूँ।

ऐसे ही फालतू में यहाँ-वहाँ देखता रहूँगा तो डर लगेगा। मैं ट्रक के cabin में लेटा हुआ हूँ। ना phone में network थे, ना नींद आ के दे। बस कमर सीधी कर ली थी। गुजरते वक्त के साथ मुझे दूसरे बंदे की फिक्र होने लगी। कि वो कहाँ चला गया।

मुझे कुछ पता भी नहीं उसके बारे में। Time भी हो रहा है और ऐसे में तो मुर्गियाँ भी मर जाएँगी। इतनी सारी मुर्गियों को feed करवाने का काम मैं यहाँ अकेले कैसे करूँगा और इस वीराने में तो बिलकुल भी हिम्मत नहीं हो रही है truck से बाहर निकलने की।

पर ये काम भी जरूरी है। मैंने कुछ देर और इंतजार किया अपने साथी का कि वो आ जाए तो कुछ हिम्मत मिले। अपने walkie-talkie पर call की पर reply में कोई जवाब नहीं आता। खैर थोड़ी हिम्मत करते हुए truck के पीछे की तरफ चला गया।

वो मुर्गियाँ भी बड़ी बेजान सी नजर आ रही थी। वैसे ये farming वाली मुर्गियाँ हैं तो इतना भागती दौड़ती भी नहीं। मैंने कुछ मुर्गियों को ट्रक में ही छोड़ दिया उनके खेत से निकाल के। उनका खाना भी डाल दिया। अब इसमें टाइम लगने वाला था।

मैंने ट्रक को पीछे से ढक दिया कि जब तक ये खाती हैं मैं आगे cabin में बैठ जाता हूँ। ऐसी वीरान जगह थी मुझसे वहाँ खड़ा तक नहीं हुआ जा रहा। मैं आगे जाके cabin में बैठा और पंद्रह बीस minute बाद मुझे अजीब सी खटपट की आवाज आयी।

पहले तो मैंने उस आवाज को ignore किया कि मुर्गियाँ उछल कूद मचा रही होंगी। जब आवाज दो चार बार और आयी मुझे लगा के truck के पीछे कोई है। वहाँ खामोशी बहुत ज्यादा थी। मैंने truck की side से mirror में देखा जहाँ से मुझे पीछे का पूरा हिस्सा नजर आ रहा है।

काफी अँधेरा था। पर मुझे ऐसा लगा जैसे ट्रक के पीछे की साइड कोई खड़ा है और साइड मिरर से मुझे ही देखने की कोशिश कर रहा है। और जब मैंने पीछे मुड़ के देखा तो वो ट्रक के पीछे हो गया। इस वक्त मेरी धड़कनें बढ़ गई। घबराहट सी होने लगी।

सोचने लगा कि गाड़ी में सामान load है, मुर्गियों की ज़िम्मेदारी मेरे पर है। मैंने हिम्मत की, ऊपर वाले को याद किया और truck से नीचे उतरा, जाके देखूँ तो सही कौन है? क्या पता कोई मदद मिल जाए अगर यहाँ का कोई local बंदा हुआ तो।

इसी सोच में पीछे जाने लगा। अपने पैरों की आहट मुझे साफ सुनाई दे रही थी। truck के पीछे आया तो मेरी जान निकल गयी। देखा तो वहाँ तीन मुर्गियाँ जिन्हें किसी ने बड़ी बुरी तरह से चीर फाड़ दिया है उन्हें खाया हुआ है। वो मरी हुई ट्रक से नीचे पड़ी है।

मैंने झट से यहाँ-वहाँ देखा पर मुझे कोई नजर नहीं आता। मेरे पीछे बाकी मुर्गियों को सही से ढक दिया और डर के मारे ट्रक में आ के बैठ गया। मैं इंतजार कर रहा था कि मेरा साथी जल्दी से आए। ये देखते ही मेरी हालत खराब हो गयी। कौन था जिसने ये किया होगा।

मैंने walkie-talkie उठाया और फिर से बात करने की कोशिश की लेकिन अभी भी कोई reply नहीं आया। पता नहीं उस walkie-talkie को on किया भी था कि नहीं। बार बार call करने के बाद एकदम से उसका जवाब आता है। मैं पूछता हूँ कहाँ हो यार कब से गए हुए हो कोई अता पता नहीं।

वापस आ जाओ यहाँ मुझे डर लग रहा है। वो कहने लगा मैं बस आ रहा हूँ मेरे पास एक truck है इसमें माल load करके इसे ले चलेंगे। ठीक है पर जल्दी करो भाई। हाँ बस मैं आस-पास ही हूँ। रोड काफी घुमावदार है चढ़ाई की वजह से टाइम लग रहा है।

घबराओ नहीं बस पहुँच रहा हूँ। अच्छा ये ट्रक तुम्हें कहाँ से मिला? वो सब मैं आ के बताता हूँ। ये बताओ तुमने मुर्गियों को खाना खिलाया। हाँ मुझे याद था मैंने उन्हें feed तो करवा दिया। पर बात ये है कि मुझे यहाँ बहुत डर लग रहा है तुम जल्दी आ जाओ।

उससे बात करके थोड़ी हिम्मत मिली कि वो सही है और जल्दी से कोई मदद पहुँच जाएगी। मैं cabin में आराम से बैठा था। truck के पास झाड़ियों से सरसराने की आवाज आने लगी। मैंने उस तरफ देखा तो कोई नजर नहीं आ रहा। अंधेरा बहुत ज्यादा था।

इतने में नीचे से आती हुई झाड़ियाँ एकदम से हिलती दिखाई दी। मुझे लगा शायद बाहर हवा चली है कि वो हिल रही है पर वहाँ कोई दिखाई नहीं दे रहा। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि वहाँ पहाड़ों से चढ़कर कोई ऊपर आया है और truck के पीछे चला गया।

मैंने डर के मारे अपनी cabin की seat को बिलकुल पीछे कर लिया। इतना कि बाहर से कोई देखे तो मैं दिखाई ना दूँ। उसे ये ना पता चले कि cabin में कोई है या नहीं। इतने में किसी के चलने की आवाज आयी। कभी लगता है truck के पीछे कोई है कभी लगता है right में तो कभी left में।

पीछे से मुर्गियों की आवाज आ रही थी जैसे वो झटपटा रही हो। अब तो मैं समझ चुका था कि truck के पीछे कोई ना कोई ज़रूर है। पर उसे नहीं मालूम कि truck के अंदर cabin में कोई बैठा है या नहीं। मैंने अपने मुँह पर हाथ रख लिया कि साँसों की आवाज़ भी बाहर ना चली जाए।

मुझे लगा कि कोई पीछे से चलता हुआ cabin की तरफ आ रहा है। साफ साफ सुनाई दे रहा था। एक वक्त ऐसा था जब वो cabin के बिलकुल बाहर आके खड़ा हो गया। मुझे उसकी साँसों की आवाज आ रही थी। उसकी वो भारी आवाज सुनके मेरी रूह काँप गयी।

मैं बेजान सा पड़ा रहा कि कहीं कोई मुझपे हमला ना कर दे। यहाँ आस-पास कोई रहता भी नहीं है तो ये है कौन जो पहाड़ों से चढ़कर यहाँ आया है। उसने अगर खिड़की से झांक के देखा तो मैं उसे सीट पर दिखाई दे जाऊँगा। मैं अपनी दिल की धड़कने सुन पा रहा था।

साँसों को तो मैंने कंट्रोल कर लिया पर धड़कने कैसे कंट्रोल करूँ। और वो जो भी था केबिन तक आते-आते रुक गया। इस बीच मुझे याद नहीं रहा कि वॉकी-टॉकी का वॉल्यूम फुल था। मैं उसे कम करना भूल गया और इतने में आवाज आती है सुनो मुझसे बात करते रहो।

मुझे time लग रहा है मुझे पता है वो जगह बहुत खौफनाक है। उसकी बात मैं सुन रहा हूँ पर मेरी आवाज नहीं निकलती। इसको भी अभी बताना था और इसके बाद cabin का दरवाजा जोर जोर से बजना शुरू हुआ जैसे बाहर वाले को अंदाजा हो गया था कि अंदर कोई मौजूद है।

मैं वैसे ही पड़ा रहा क्योंकि दरवाजा अंदर से lock था। वो दरवाजे को पीटने लगा। truck की height अच्छी खासी थी। दरवाजा पीटते हुए एकदम से खामोशी हो गयी। मुझे क्या पता था इस खामोशी के पीछे एक तूफान सा छिपा हुआ है। मैं थोड़ा सा ऊपर हुआ और side mirror से पीछे की तरफ झांकने की कोशिश की।

मुझे ऐसे लेटे लेटे बेचैनी सी होने लगी थी। मैंने mirror में देखा तो मेरी बात अभी मेरे साथी से हो रही थी और वो मेरे ट्रक के पीछे खड़ा है। मैंने ये देख दोबारा से वॉकी-टॉकी पर कॉल किया। यार तुम ट्रक के पीछे खड़े हो। वो कहता है भाई क्या बात कर रहे हो? मैं तो रास्ते में हूँ।

तुमने किसको देख लिया है? माँ कौन है तुम्हारे पास? और देखो शायद मैं तुम्हें नज़र भी आ जाऊँ बस थोड़ी दूर हूँ मैं। मैंने हिम्मत करके truck से बैठे बैठे ही उस ढलान की तरफ देखा जहाँ से road नज़र आ रहा था। मैंने देखा कि एक truck ऊपर चढ़ता हुआ नज़र तो आ रहा है।

वो कहता है हाँ मैं उसी में हूँ। उसने कहा तुम दरवाज़ा मत खोलना। अंदर ही बैठे रहो। मैं बस कुछ ही देर में पहुँचने वाला हूँ। तुम मुझसे बात करते रहो ताकि मुझे भी तुम्हारे हालात का पता चलता रहे। जैसे-जैसे उसका ट्रक पास आ रहा था मुझमें थोड़ी हिम्मत आई।

और जब वो मेरी तरफ वाले रास्ते पर मुड़ता है उसकी आवाज आती है अच्छा एक बात सुनो डरना मत। मैं तुम्हें कुछ बताने जा रहा हूँ। हम लोग तुम्हारे ट्रक से कुछ दूर खड़े हैं और हमें तुम्हारे ट्रक के आस-पास कुछ लोग दिखाई दे रहे हैं।

तुम एक काम करो ट्रक चल तो सकता नहीं है। तुम उसे स्टार्ट करो, हेडलाइट जलाओ और लगातार हॉर्न बजाते रहो। मैंने ऐसा ही किया और देखते-देखते वो ट्रक इस तरफ आता है जिसमें दूसरा बंदा था। वो भी बहुत घबराया हुआ था। दोनों ट्रक अभी एकदम आस-पास खड़े हैं।

मैं ट्रक से उतरा और मुर्गियों को दूसरे ट्रक में लोड करना शुरू किया। जब तक हम ये काम करते रहे हमें महसूस होता रहा कि हमारे आस-पास कुछ लोग खड़े हैं। वो देख रहे हैं हमें और उन मुर्गियों को। ट्रक लोड करके हमने ये वाला ट्रक स्टार्ट किया।

और निकल पड़े जहाँ माल पहुँचाना था। उस रात हम वहीं रुके। दूसरे दिन मालिक ने एक mechanic को भेजा truck देखने के लिए। यहाँ से हम लोग भी पहुँचे क्योंकि चाबी तो हमारे पास ही थी। तब हम क्या देखते हैं truck के side में और cabin पर खून के निशान थे।

जैसे खून भरे हाथ किसी ने truck पर मारे हो। वो बहुत ही खौफनाक मंज़र था। जब इस हादसे के बारे में बाकी truck drivers को पता चला तो इस route पर रात को चलने से मना कर दिया। भले ही थोड़ी देर हो जाए सामान पहुँचाने में पर दिन ढलने से पहले ही ये रास्ता पार कर लेना है।

यहाँ कुछ तो ऐसा है जो बहुत भयानक और डराने वाला है। क्योंकि अब तो रात में इस route पर entry भी नहीं होती। देखिए डर का मतलब आपको तभी समझ आता है जब वो चीज आपके साथ हुई हो। आप खुद भी जब एक बार रात में सफर पर निकलते है तो देखना अपने आसपास।

और महसूस करना वहाँ की खामोशी को। आपको जवाब मिलेगा कि आपके अलावा भी कोई है जो शायद आपको देख रहा है इस वक्त भी।

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