मौत ने ली दोस्त की जान, पर हमारी दोस्ती आज भी ज़िंदा है - एक सच्ची कहानी
ये दो हजार आठ की बात है। मैं और मेरे दोस्त यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे। हम चार लोग थे—मैं, साकोरा, ताकेशी और हमारा सबसे खास दोस्त एकारू। ये कानून हमारे ग्रुप की जान था। उसकी हंसी और उसके जोक्स ने हमें कभी भी बोर होने नहीं दिया।
हमारी दोस्ती की एक खास बात थी। एकारू का मानना था कि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो कभी खत्म नहीं होता। वो कहता था कि दोस्ती सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। कहीं भी चला जाऊं, तब भी तुम लोगों के साथ ही रहूँगा। हम उसकी इन बातों पर हँसते थे, लेकिन वो यह बात बहुत गंभीरता से कहता था।
कि ऑटो की सड़कों पर शरद ऋतु का मौसम था। पेड़ों के पत्ते लाल और पीले रंग में रंगे हुए थे। उस शाम हम सब यूनिवर्सिटी से घर लौट रहे थे, लेकिन एकारू को किसी काम से कहीं और जाना था। उसने हमसे कहा, "तुम लोग चलो, मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।" हमने उसे अलविदा कहा और आगे बढ़ गए।
लेकिन अगली सुबह हमें जो खबर मिली, उसने हमारी पूरी दुनिया हिला दी। एकारू का एक्सीडेंट हो गया था। उसकी बाइक एक ट्रक से टकरा गई थी और उसकी वहीं मौके पर ही मौत हो गई थी। हमें यकीन ही नहीं हुआ। हम अस्पताल भागे, लेकिन उसकी बॉडी पहले ही पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई थी।
एकारू के बिना हमारा ग्रुप अधूरा हो गया था। उसका खालीपन हर पल हमें महसूस होता था। सकोरा अक्सर कहती थी कि "एकारू का जाना ऐसा लगता है जैसे हमारी जिंदगी का सबसे खास हिस्सा चला गया हो।" ताकेशी ने खुद को पढ़ाई में डुबो दिया, लेकिन मैं रातों को ठीक से सो नहीं पाता था।
एकारू की हंसी, उसकी बातें सब मेरे दिमाग में गूंजती रहती थीं। उसकी मौत के कुछ दिन बाद मैं अपने कमरे में अकेला बैठा था। रात के करीब दो बजे होंगे, तभी खिड़की के बाहर से किसी के हँसने की आवाज आई। वो आवाज बिल्कुल एकारू की हंसी जैसी थी।
मैंने खिड़की से बाहर झांक कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। मैंने सोचा कि शायद ये मेरा वहम होगा। लेकिन कुछ पल बाद मेरा लैपटॉप अपने आप ऑन हो गया। जब मैंने लैपटॉप को जाकर देखा तो स्क्रीन पर एक बहुत पुरानी तस्वीर दिखी जिसमें हम चारों दोस्त एक साथ खड़े थे।
वो तस्वीर देखकर मैं सन्न रह गया। अगले दिन मैं यूनिवर्सिटी गया, लेकिन वहाँ सकोरा बहुत डरी हुई थी। उसने बताया कि रात में जब वो पढ़ाई कर रही थी तो उसके टेबल लैम्प अचानक से बंद हो गया और फिर उसे महसूस हुआ कि कोई उसके पीछे खड़ा है।
उसने मुड़कर देखा और वहाँ एकारू खड़ा था। जब सकोरा ये सब बता रही थी, उसकी आँखों में आँसू थे। उसने आगे बताया कि एकारू कुछ नहीं बोला, बस उसे देखता रहा और हल्का-सा मुस्कुराया। जैसे वो कहना चाहता हो कि सब कुछ ठीक है।
ताकेशी हमारे ग्रुप में सबसे ज्यादा प्रैक्टिकल सोचने वाला था। उसने कभी भूत-प्रेत की बातों पर यकीन नहीं किया। लेकिन जब उसने अपना अनुभव बताया, तो हम सब चौंक गए। उसने कहा कि वो कल लाइब्रेरी गया था और वहाँ एक बुक में एक लाइन देखी: "मुझे याद करते रहना।"
ताकेशी का ध्यान उस लाइन पर इसलिए गया क्योंकि किसी ने उन्हीं शब्दों को हाईलाइटर से मार्क किया था। हमने सोचा कि ये महज हमारी भावनाओं का खेल है, लेकिन हर घटना इतनी वास्तविक लग रही थी कि उसे नकारना बहुत मुश्किल था।
अब ये सब चीजें रोज का हिस्सा बन चुकी थीं। एकारू किसी न किसी रूप में हमारे पास आता था—कभी हँसते हुए, तो कभी चुपचाप हमें खड़ा होकर देखता था। मैंने महसूस किया कि ये सब हमें डराने के लिए नहीं हो रहा था।
ये एकारू का तरीका था ये जताने का कि वो आज भी हमारे साथ है। लेकिन एक रात मैंने सपने में उसे देखा। वो एक बड़े पेड़ के नीचे खड़ा था, जहाँ हम अक्सर घूमने जाते थे। उसने मुझे बुलाया और कहा, "सुनो, मैं हमेशा तुम लोगों के साथ रहना चाहता हूँ, लेकिन अब मुझे जाना होगा।"
मैंने उससे पूछा, "कहाँ जाना होगा?" उसने कहा, "मैं तुम सबको अलविदा कहने के लिए रुका था, लेकिन अब मुझे शांति चाहिए।" उस रात के बाद से एकारू हमारे सपनों और ख्यालों में नहीं आया, लेकिन उसकी यादें और बातें आज भी हमारे साथ हैं।
मैं आज भी सोचता हूँ शायद वो कहीं और भी किसी को हँसाने और खुश रखने के लिए मौजूद है। एकारू ने हमें सिखाया कि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो मौत के बाद भी खत्म नहीं होता। वो हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगा।
दोस्ती का रिश्ता अमर होता है। एकारू, तुम हमेशा हमारे साथ रहोगे।
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