हमारी कैंपिंग का सबसे खौफनाक रात: जब टेंट पर हुआ हमला


Camping कभी मेरी पसंदीदा, पारिवारिक गतिविधियों में से एक हुआ करती थी। प्रकृति के बीच रहना, आग पर खाना बनाना और तारों के नीचे कहानियां सुनना, इसमें नापसंद करने जैसा कुछ भी नहीं था। मेरी पत्नी एमिली और मैं अपने बेटे जैक को जितना संभव हो सके कैंपिंग पर ले जाते थे।

लेकिन जब जैक तेरह साल का था और हम Review State Park के लिए गए थे, उस पार्क में जो हुआ उसके बाद से मैं कभी पहले जैसी कैंपिंग का आनंद नहीं ले पाया। वो अक्टूबर की शुरुआत थी, जब मौसम कैंपिंग के लिए एकदम सही था। ना ज्यादा गर्म, ना ज्यादा ठंडा।

हम शुक्रवार दोपहर अपने पसंदीदा camping स्थल Review State Park पहुँचे। हमारी camping site पार्क के एक सुनसान हिस्से में थी जहाँ ऊँचे-ऊँचे देवदार के पेड़ थे। tent लगाने और आग जलाने के बाद हमने हॉट डॉग पकाए और रात का खाना खाया।

जब सूरज डूबा तो जैक बहुत उत्साहित था। मैंने उसे जंगल में रहने वाले राक्षसों की डरावनी कहानियां सुनाई। वो उस उम्र में था जब डरावनी चीजें डराने की बजाय रोमांचक लगती थी। इसके बाद हम सब रात में सोने चले गए। सफर और टेंट लगाने की थकान के कारण हम गहरी नींद में सो गए।

पहली रात बाहर सोने का अनुभव हमेशा अच्छा लगता है, शांति और सुकून से भरा। अगली सुबह हमने आग पर पैन केक बनाए। नाश्ता करते समय एक पार्क रेंजर हमसे मिलने आया। वो एक अधेड़ उम्र का पतला-दुबला व्यक्ति था। उसकी मुछे बहुत बड़ी थी।

उसने हमें आगाह किया कि हाल ही में इस इलाके में भालू काफी ज्यादा सक्रिय है। इसलिए हमें अपने खाने को ठीक से store करना चाहिए। हमने उसे आश्वस्त किया हमारे पास एक भालूरोधी container है जिसे हम हमेशा camping में इस्तेमाल करते है। ranger के जाने के बाद हम tracking के लिए निकले।

एमिली को पक्षी देखने का शौक था इसलिए वो अपनी दूरबीन और पक्षी पहचानने वाली किताब साथ लाई थी। हमें कई तरह के पक्षी दिखे - Kingfisher, Robin, Finch और कई अन्य। हालांकि Jack बीच में बोरियत की शिकायत कर रहा था, लेकिन मैं देख सकता था कि वो अंदर ही अंदर इसका आनंद ले रहा था।

शाम ढलते ही हम अपनी site पर लौट आए और card games खेलते हुए हमने magazines पढ़ी। उसी समय मैंने हमारे camp site के सामने एक व्यक्ति को देखा। वो बार बार हमारी तरफ देख रहा था और जैसे जैसे रात गहरी होती गयी उसकी निगाहें और अधिक ठहरने लगी।

वो करीब चालीस साल का था, उसका चेहरा खुरदरा और थका हुआ लग रहा था। वो beer पी रहा था और cigarette पीते अपनी आँख को बिना किसी उद्देश्य के कुरेद रहा था। मैंने उसे नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन जिस तरह से वो हमें घूर रहा था उससे अजीब सा एहसास हो रहा था।

जैसे ही अँधेरा हुआ, मैंने जैक को टेंट में भेज दिया ताकि वो बाहर की नजरों से दूर रहे। एमएली और मैं देर रात तक आग के पास बैठे बातें करते रहे और तारों को निहारते रहे। फिर करीब आधी रात को हम सोने चले गए।

रात के वक्त अचानक मेरी आँख खुल गई। मैंने टेंट के बाहर से आती आवाजें सुनी, टहनियों के टूटने और सूखे पत्तों के चरमराने की आवाजें। मैं चुपचाप लेटा रहा और उन आवाजों को पहचानने की कोशिश करने लगा। मेरे बगल में अमेली और जैक गहरी नींद में थे।

फिर मैंने सुना धीमे और स्थिर कदमों की आहट, जैसे कोई हमारे टेंट के बहुत करीब घूम रहा हो। मेरे अंदर डर की एक लहर दौड़ गई। में सबसे बुरे ख्याल आने लगे - कोई जंगली जानवर, कोई पागल हथियारा या वो अजनबी camper।

धीरे धीरे बिना ज्यादा आवाज किए मैंने अपने पास रखी torch उठाई। मैंने उसे जलाया। धीरे-धीरे टेंट का जिप खोलकर बाहर झाँका। मैं किसी जानवर से सामना करने के लिए तैयार था। लेकिन जो मैंने देखा उसने मेरी रीढ़ में सिरहन दौड़ा दी।

वो आदमी जो सामने वाली साइड पर था, टेंट से कुछ ही फीट की दूरी पर बैठा हुआ था। उसकी पीठ मेरी तरफ थी। जैसे ही मेरी टॉर्च की रौशनी उस पर पड़ी, उसने अचानक सर घुमा लिया। कुछ सेकेंड्स के लिए हमारी आंखें मिली और उसकी आँखों में एक अजीब पागलपन भरी चमक थी।

अचानक उसने एक जानवर की तरह गुर्राते हुए मुझ पर झपट्टा मारा। मैं पीछे गिर पड़ा और जोर से चिल्लाया, एमएली, जैक बाहर निकलो! एमिली तुरंत जाग गई और जैक को पकड़ कर बाहर भागी। मैं उस आदमी को रोकने की कोशिश करने लगा जो अब टेंट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था।

मैंने उसे लात मारी जो सीधा उसके चेहरे पर लगी। वो दर्द से चिल्लाया। मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और टेंट का जिप फाड़ते हुए बाहर कूद गया। एमएली और जैक पहले से ही मेन कैम्प साइड की ओर दौड़ रहे थे। मैंने जल्दी से अपनी चाबियां और चाकू उठाया।

टेंट से बाहर निकलते ही, वो आदमी फिर मेरी तरफ झपटा। उसके होठों से खून बह रहा था। मैंने किसी तरह खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाया और तेजी से भागते हुए अपने परिवार के पीछे दौड़ पड़ा। हम चिल्लाते हुए मदद मांगने लगे।

कुछ ही मिनटों में आसपास के दूसरे कैंपर्स भी अपने टैंक से बाहर आ गए। मैंने उन्हें बताया कि एक आदमी हम पर हमला करने की कोशिश कर रहा है और उसकी ओर इशारा किया। हमने देखा कि वो अब जंगल की ओर भाग रहा था।

कैंपर्स ने तुरंत 911 पर call किया। कुछ campers ने उस area की तलाशी की लेकिन हमलावर का कोई निशान नहीं मिला। थोड़ी देर में police और ambulance मौके पर पहुँची। police ने हमारे बयान लिए और हमें सुरक्षित महसूस कराने की कोशिश की।

हमने वहाँ एक और रात रुकने के बजाय पास के एक hotel में जाने का फैसला किया। लेकिन उस रात भी मैं मुश्किल से ही सो पाया। अगले दिन सुबह हम पूरी तरह थके हुए अपने घर लौटे। family और मैं अंदर तक हिल चुके थे।

camping जो कभी हमें सुकून और आनंद देती थी अब बहुत डरावनी लगने लगी थी, खासकर Jack के लिए जो पूरे रास्ते खामोश रहा। अब वो अठारह साल का हो चुका है। लेकिन उस घटना के बाद से उसने फिर कभी camping नहीं की।

सच कहूँ तो मुझे भी दोबारा जंगल में अकेले रात बिताने में कई साल लग गए। कभी जो जगह शांतिपूर्ण लगती थी अब वहाँ हर अँधेरे कोने में छुपे खतरों का एहसास होता है। कौन जानता है अगली बार मेरे tent के दरवाजे पर कौन या क्या खड़ा होगा।

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