रात में सुनसान गाँव और एक रहस्यमयी औरत: दादाजी की भयानक आपबीती


एक बार दादाजी किसी की शादी में गए हुए थे। शादी का फंक्शन अटेंड करने के बाद वो वापस लौट रहे थे, रात हो चुकी थी। उस समय लोग एक गाँव से दूसरे गाँव पैदल ही जाते थे। तो दादाजी निकल पड़े घर की ओर। करीब दो-तीन घंटे चलने के बाद वो बहुत थक चुके थे और आराम करने की जगह ढूंढ रहे थे।

काफी देर तक चलने के बाद रास्ते में एक गाँव पड़ा। वो गाँव बिलकुल सुनसान लग रहा था, वहाँ कोई नजर नहीं आ रहा था, चारों तरफ एकदम अँधेरा छाया हुआ था। हाँ, इक्का-दुक्का रोने की आवाज जरूर सुनाई दे रही थी। अब कहाँ आराम किया जाए, यही सोचकर दादाजी परेशान हो रहे थे।

तभी दूर एक जगह हल्की रोशनी दिखाई दी जिसे देखकर दादाजी का चेहरा खिल उठा और वो उसी दिशा में चल दिए। जल्द ही वो वहाँ पहुँच गए। वहाँ एक छोटा सा कच्चा मकान था। दादाजी ने उस घर के सामने जाकर आवाज लगाई, “कोई है क्या यहाँ पर?”

पहली बार में कोई जवाब नहीं आया। तो उन्होंने दोबारा आवाज लगाई, “कोई अंदर है क्या? मैं बहुत दूर से आया हूँ।” इस बार घर के अंदर से एक औरत बाहर आई। उसने घूँघट ओढ़ रखा था। “जी हाँ, बताइए क्या काम है?”

दादाजी ने राहत की सांस ली। “मुझे रात भर आराम करने के लिए कोई जगह मिल सकती है क्या? मैं बहुत दूर से आया हूँ और काफी थक गया हूँ। रात भी काफी हो गई है, मुझसे और चला नहीं जा रहा है। अगर रात भर आराम करने की कोई जगह मिल जाती तो बड़ी मेहरबानी होती।”

वो औरत कुछ सोचने लगी, फिर उसने कहा, “ठीक है, आप रुक सकते हैं।” उस औरत ने हामी भर दी। पर दादाजी ने पूछा, “क्या आपके यहाँ और कोई नहीं रहता? और ये गाँव भी एकदम सुनसान है। कोई भी नजर नहीं आ रहा। आखिर सब लोग गए कहाँ?”

वो औरत कुछ देर चुप रही। फिर उसने अपना गला साफ किया और बोली, “मेरे मर्द तो काम के सिलसिले से दूसरे गाँव गए हैं और गाँव इसलिए सुनसान है क्योंकि रात काफी हो चुकी है तो सब लोग सो चुके हैं।”

फिर उस औरत ने अंदर आने का आग्रह किया। उसके घर के बगल में ही मेहमानों के लिए एक अलग सा कमरा बना हुआ था जो छोटा सा तो था, पर रात बिताने के लिए काफी था। दादाजी उस कमरे में आराम करने के लिए चले गए।

उन्होंने अपना खुद का खाना बनाया। वो अक्सर अपने साथ खाना बनाने का थोड़ा सा कच्चा अनाज लेकर चलते थे। जब खाना बन गया तो उन्होंने आवाज लगाई, “अगर घर में नींबू हो तो दे सकती हैं क्या?” उधर से आवाज आई, “क्यों नहीं? अभी देती हूँ, आप थोड़ा इंतजार करें।”

दादाजी के कमरे के सामने ही नींबू का पेड़ था। अचानक से दादाजी की नजर खिड़की के बाहर गई तो उनके होश उड़ गए। क्योंकि उन्होंने जो नजारा देखा, अगर कोई कमजोर दिल वाला होता तो वही मर जाता।

उस औरत ने अपने कमरे से ही हाथ बढ़ाना शुरू किया। उसका हाथ लंबा होता जा रहा था और उसने कमरे के अंदर बैठे-बैठे वो नींबू तोड़ लिया और वापस उसका हाथ छोटा होने लगा। दादाजी ये नजारा देखकर समझ गए कि वो गलत जगह आ गए हैं।

दादाजी ने भगवान से प्रार्थना की। उन्होंने चुपचाप अपना सामान समेटा और वहाँ से निकल गए। उन्होंने पलट कर भी नहीं देखा। वो रात भर चलते रहे और सुबह वो एक दूसरे गाँव पहुँचे। वहाँ कुछ लोग अपने खेत में काम कर रहे थे।

दादाजी को इतनी जल्दी चलता देख उन्होंने पूछा, “क्या बात है बाबा, आप इतनी जल्दी-जल्दी कहाँ भाग रहे हैं?” दादाजी ने रात को बीती उस घटना के बारे में उन्हें बताया तो वो लोग भी चौंक गए।

उन्होंने कहा, “ये आप क्या बोल रहे हैं? आप जिस गाँव की बात कर रहे हैं उस गाँव में एक महीना पहले एक भयानक बीमारी फैली थी जिससे पूरा गाँव तबाह हो गया। गाँव के कई लोग मारे गए, कई लोग भाग गए।”

“फिर आपको कोई औरत जिंदा कैसे मिल सकती है? हमारे ख्याल से आप एक बड़े खतरे से बचकर आए हैं। शायद भगवान ने आपकी रक्षा की है।” दादाजी भी अब समझ चुके थे कि वो किससे मिलकर आए हैं और उस रात के बारे में सोचकर ही उनके शरीर में एक सिहरन दौड़ गई।


नए घर में नई शादी का खौफ: उस एक रात ने सब कुछ बदल दिया


मेरे दोस्त राजकुमार के बड़े भैया की नई-नई शादी हुई थी. भैया भाभी नए घर में रहने चले गए थे. शुरू में तो सब कुछ अच्छा चल रहा था. पर उस रात कुछ ऐसा हुआ जो काफी डरावना था. भैया जब नाइट शिफ्ट करके वापस आए तो घर अंदर से बंद था. काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी दरवाज़ा नहीं खुला.

आखिरकार भैया ने दरवाज़ा तोड़ दिया. अंदर जाकर देखा तो भाभी अचेत अवस्था में नीचे पड़ी थी. जब भैया ने उन्हें छुआ तो भाभी का शरीर आग की तरह तड़प रहा था. भैया तुरंत उन्हें अस्पताल ले गए. वहाँ काफी देर बाद उन्हें होश आया. उनको पुराने वाले घर में ले जाया गया.

पर कुछ दिनों तक भाभी ने किसी से बात नहीं की. बस खोई-खोई सी रहती थी. बहुत से डॉक्टर को दिखाने के बाद उनकी हालत में कुछ सुधार तो आया. तो एक दिन भैया ने पूछ लिया कि आखिर उस रात को क्या हुआ था. भाभी ने पूरी बात बताई.

भैया ने उनकी बात का यकीन नहीं किया और सोचा कि शायद उस रात बुखार सिर पर चढ़ जाने की वजह से उन्हें ये धोखा हुआ होगा. इस वजह से आराम करने के लिए भाभी को मायके ही छोड़ आए. उस दिन के हादसे के बाद से भैया अपने पुराने घर पर ही रह रहे थे.

पर वहाँ सोने और रहने में बहुत परेशान होते थे. इसलिए भैया ने तय किया कि वो नए घर में ही रहेंगे. इसलिए घरवालों से इजाजत लेकर वापस नए घर में आ गए. दादा दादी ने उन्हें बहुत मना किया पर भैया ने जिद कर ली थी तो सभी ने इजाजत दे दी.

भैया नए घर में रहने लगे. अभी कुछ दिन उनके नाइट शिफ्ट ही थे तो उन्हें वहाँ रहने में कोई परेशानी नहीं हुई. पर कुछ दिनों बाद उनकी duty day shift हो गई. अब भैया सुबह दस बजे जाते हैं और शाम छह बजे तक लौटकर आ जाते हैं. कुछ दिन तो अच्छे से कट गए.

भैया को भी यकीन हो गया कि भाभी को जो लगा वह नहीं हुआ होगा. वरना इतने दिनों से उन्हें यहाँ कुछ क्यों नहीं दिखाई दिया. पर शायद उन्हें अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला है. आज भैया की सुबह की ड्यूटी थी. भैया सुबह दस बजे अपने काम पर चले गए.

शाम साढ़े छह बजे तक लौटकर आए. काम से आने के बाद उन्होंने नहाया और खाना बनाने में लग गए. बीच में भाभी का फोन आया. अब वो पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी थीं. भैया ने भी उन्हें समझाया कि इस घर में कई दिनों से वो अकेले रह रहे हैं पर उन्हें कुछ भी अजीब महसूस नहीं हुआ.

तो भाभी ने भी कहा कि एक-दो दिन में वो भी वापस आ जाएंगी. भैया भी खुश थे क्योंकि दिन भर duty करने के बाद घर आकर खाना बनाना बहुत मुश्किल काम होता है. भैया ने खाना बनाकर खा लिया. खाना खाने के बाद भैया ने अपना बिस्तर लगाया और सो गए.

भैया सो रहे थे. रात के करीब एक बजे भैया को ऐसा लगा कि कुछ उनकी छाती पर बैठा हुआ है. उनकी आँखें भी नहीं खुल रही थीं. उनकी छाती पर बहुत ज्यादा दबाव बना हुआ था. वो चाह कर भी अपने ऊपर से उसे हटा नहीं पा रहे थे. वो अपना पूरा जोर लगा रहे थे.

आखिरकार उनकी आँख खुली और उन्होंने अपने चेहरे से चादर हटाया. सामने का नजारा देखकर भैया के होश फाख्ता हो गए. उनकी छाती पर एक चुड़ैल बैठी थी जिसके बाल खुले हुए थे. सफेद साड़ी और लाल आँखें थीं. पूरा चेहरा विभत्स था, जैसे मनुष्य सड़ चुका हो.

वो अपनी लंबे जीभ से भैया के चेहरे को चाट रही थी. उसने अपने हाथ जिसके नाखून बड़े-बड़े थे और सड़े हुए थे, उनसे भैया के गले को दबाना शुरू किया. भैया की साँसे रुकने लगीं. मानो मौत उनसे कुछ ही दूरी पर हो. पर भैया ने आखिरी बार अपनी पूरी ताकत इकट्ठा की.

भगवान का नाम लेकर उस चुड़ैल को जोरदार धक्का दिया. इस बार वह दूर जा गिरी और हवा में कहीं गायब हो गई. रात भर भैया नहीं सोए. सुबह होते ही उन्होंने अपना सामान समेटा और उस घर को हमेशा के लिए अलविदा कर दिया.

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