दिल्ली के स्कूल की खौफनाक सच्ची घटना: प्रिंसिपल के वशीकरण और मौत के बाद आत्मा का साया


ये incident दिल्ली का है और इसे हमारे साथ सुमित नाम के एक इंसान ने शेयर किया है। सुमित ने बताया कि ये घटना पर 2023 की है। 2022 में सुमित की B.Ed पूरी हुई थी जिसके बाद वो एक स्कूल ज्वाइन करने का प्लान कर रहा था। जहां उसकी हल्की-फुल्की प्रैक्टिस हो जाए, थोड़ा अनुभव मिल जाए और साथ ही थोड़ी कमाई भी शुरू हो जाए।

हालांकि उसने अपना रिज्यूमे बीच सत्र में दिया, जब अधिकतर स्कूलों के सत्र शुरू हो चुके थे। लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी, एक स्कूल था जिसे अगस्त महीने में, बीच सत्र में, प्राइमरी सेक्शन के लिए एक शिक्षक की आवश्यकता थी। मूल रूप से यह स्कूल आठवीं कक्षा तक था, और उन्हें पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक पुरुष शिक्षक चाहिए था।

जैसे ही यह नोटिफिकेशन सुमित के पास पहुंचा, वह स्कूल पहुंचा। वहां इंटरव्यू हुआ और सब कुछ बहुत अच्छा रहा। आखिरकार सुमित का चयन भी हो गया। जिसके बाद वह बीच सत्र में ही स्कूल जाना शुरू कर देता है। यह अनुभव सुमित के लिए बहुत अलग था। पढ़ने से पढ़ाने का सफर बहुत अलग होता है, खासकर शुरुआती दौर में।

जैसे-जैसे समय बीतता गया, सुमित सीख रहा था कि बच्चों को कैसे संभालना है, शिक्षकों से कैसे बात करनी है और सब कुछ कैसे बहुत अच्छे से प्रबंधित करना है। इस नए माहौल में सुमित बहुत अच्छे से ढल गया था। धीरे-धीरे समय बीत रहा था, लेकिन कुछ अजीब चीजें अभी सुमित के साथ होनी बाकी थीं, जिसके बारे में शायद उसे कोई अंदाजा तक नहीं था।

शुरू-शुरू के कुछ महीने सुमित के लिए बहुत अच्छे थे। लेकिन उसके बाद उनके स्कूल में कुछ बदलाव आता है, और वो जो बदलाव आया था, वो उनके स्कूल की प्रिंसिपल की जिंदगी में आया था। प्रिंसिपल का नाम राधिका था, और उसकी अपनी शादी को लेकर अपने पति से कुछ अनबन चल रही थी।

धीरे-धीरे समय के साथ यह अनबन बढ़ती जाती है और दिसंबर में आखिरकार उनका तलाक हो जाता है। यह अभी भी 2022 ही चल रहा था। सुमित को ज्वाइन किए अभी सिर्फ तीन से चार महीने ही हुए थे। खैर, अभी तक चीजें काफी हद तक सामान्य ही थीं। स्कूल का माहौल थोड़ा बदल गया था, लेकिन किसी को भी प्रिंसिपल को देखकर मानसिक रूप से ऐसा नहीं लग रहा था कि उसका तलाक हुआ है।

वक़्त बीतता है, लेकिन इस वक़्त के साथ-साथ सुमित कुछ नोटिस करना शुरू कर देता है। वह नोटिस करता है कि जो प्रिंसिपल राधिका थी, वह शायद सुमित की तरफ आकर्षित थी। उसको देखने का, उससे बात करने का तरीका सुमित को बिलकुल पसंद नहीं था, और सुमित समझ गया था कि उसके इरादे शायद सुमित को लेकर ठीक नहीं थे।

हालांकि सुमित ने पहली बार ऐसी कोई संस्था ज्वाइन की थी, लेकिन वह 24 साल का हो गया था। वह जानता था कि लोगों से किस तरह से निपटना है और लोगों के हाव-भाव से वह यह भी समझ लेता था कि आखिरकार उनके दिल में क्या चल रहा है, और वह इस महिला से ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रखने की कोशिश करता था।

लेकिन आखिरकार वह इस स्कूल की हेड थी, और जब भी वह सुमित को बुलाती थी, सुमित को जाना ही पड़ता था क्योंकि वह प्रिंसिपल थी, और उसके सारे अधिकार थे किसी भी शिक्षक को किसी भी समय अपने ऑफिस में बुलाने के। सुमित जैसे ही वहां पहुंचता था, वह ज्यादातर अकेला ही होता था, और वह देख लेता था कि प्रिंसिपल को उससे आखिरकार कोई काम नहीं है।

वो उससे सिर्फ बात करना चाहती थी, उसके साथ समय बिताना चाहती थी। धीरे-धीरे यह सब कुछ बढ़ता जा रहा था और सुमित को हमेशा तब बुरा लगता था जब भी वह उसको अकेले बुला लेती थी। लेकिन स्कूल की सैलरी अच्छी थी और पैसा हर इंसान को झुका देता है, खासकर तब जब वह पहली बार कुछ कमाना शुरू करता है।

खैर, इसी सबके बीच में यह सत्र निकल जाता है। अगला सत्र शुरू होता है और सब कुछ उसी तरह से शुरू होता है। लेकिन जो राधिका के इरादे सुमित को लेकर थे, वह अभी तक बदले नहीं थे। सुमित इस चीज से थोड़ा परेशान तो था, लेकिन अब यह सत्र शुरू हो गया था।

अब उसको सत्र शुरू होने के बाद कहीं नौकरी मिलनी भी नहीं थी, और आर्थिक स्थिरता उसकी जिंदगी में बहुत मुश्किल से आई थी। शुरू में जब इंसान कमाना शुरू करता है, तो उसके बाद पीछे हटना नहीं होता। कभी भी इंसान बिना कमाए रह नहीं सकता और सुमित भी ऐसी ही स्टेज पर था, इसलिए उसने सब कुछ जारी रखा हुआ था।

लेकिन अब, आखिरकार जब उसको राधिका बुलाती थी अपने ऑफिस में, तो कभी-कभार वह उसको छू भी लेती थी, जैसे कभी-कभार बात करते-करते वह उसके पीछे आ जाती थी, घूमते-घूमते उसके कंधे पर, उसकी बाहों पर हाथ फेरना शुरू कर देती थी जो कि सुमित को काफी हद तक अजीब लगता था।

लेकिन वह चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाता था। कभी वह अपने आप को झटकता तो कभी इस तरह से वह नजरें उसकी तरफ फेरता जैसे वह इसे पसंद नहीं कर रहा है। लेकिन ऐसा लगता था राधिका पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था। राधिका 45 साल की परिपक्व महिला थी और वह जानती थी कि वह 24 साल के लड़के को किस हद तक जोड़-तोड़ कर सकती है।

धीरे-धीरे जब उसको सब कुछ बहुत अजीब लगना शुरू हो गया था, तो आखिरकार उसने अपने पापा से सब कुछ शेयर किया, किस तरह से उसको लगता है कि उसके साथ कोई रात को सोता है, उसके साथ उठता है, बैठता है। इसके बाद की सारी बातें उसके पापा ने खुद ही समझ लीं कि इसके साथ सच में कोई पिशाचिनी, कोई भूत-प्रेत या फिर कोई महिला आत्मा है जो जुड़ गई है।

और जिसका इससे दूर जाना बहुत जरूरी है, अन्यथा सुमित को बहुत नुकसान हो सकता है। जिसके बाद वह कुछ और तांत्रिक बाबाओं की तलाश में जुट गए। लेकिन इसी बीच उनको एक महिला के बारे में पता चलता है जो कि इस तरह के उच्च-स्तरीय घटनाओं को संभालती थी, मतलब जो किसी बड़े परिवार के साथ, बड़े समाज में ऐसा कुछ हो रहा हो।

तो उस तरह की चीजों को देखते थे, और किसी पर भी कोई भूत-प्रेत, भेजी हुई किसी भी तरह की चीज हावी हो तो उनको ही वो दूर करते थे। सुमित के पिताजी ने भी उन्हीं से संपर्क किया। मूल रूप से वो हर इंसान के घर पर आकर ही उनका इलाज करते थे। इसी तरह से यह महिला सुमित के घर पर पहुंचती है।

सुमित की फैमिली ने फैसला किया था कि वो खुद से उनको कुछ नहीं बताएंगे कि हम तीनों में से कौन पीड़ित है, और वो देखेंगे अगर उनको कुछ समझ आएगा तभी हम आगे बढ़ेंगे, नहीं तो आज का सत्र लेकर उनको उनकी फीस देकर वापस भेज देंगे। जैसे ही वो महिला उनके घर के अंदर आती है, पति, पत्नी और बेटा वहां बैठे हुए थे।

यह महिला आते ही सुमित के सर पर हाथ रखती है। थोड़ी देर ध्यान लगाती है और आंखें खोलते ही सुमित को कहती है, "क्या हुआ? मरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ रही?" यह सुनते ही सुमित की आंखें खुली की खुली रह गई थीं कि आखिरकार कैसे उस महिला ने बिल्कुल सही अनुमान लगाया था जो कुछ उसके साथ हो रहा था।

सुमित तो शायद पहले इन चीजों पर यकीन नहीं करता था, तो सबसे पहले तो जब उस पर वशीकरण जैसी चीज हुई थी तब उसको यकीन हो गया था जो अभी शायद वो नहीं था उसको यह भूत प्रेत लग रहा था, और अब जब इस महिला ने साफ-साफ सब कुछ उसको बता दिया था तब उसको इन चीजों पर यकीन हो गया था।

और वो बहुत बुरी तरह से कांपना शुरू कर चुका था। इसके बाद उसके माता-पिता भी समझ गए कि यह महिला सच में कुछ जानती है और यह महिला सच में सुमित को ठीक कर देगी। जिसके बाद वह घर पर घूमना शुरू कर देती है, सुमित के कमरे में जाती है, उनके घर की हर जगह का चक्कर लगाती है।

वापस आकर कहती है कि घर पर कोई काला जादू नहीं है, जो कुछ भी है वो सुमित के साथ है, इसी पर हावी है। जिसके बाद वो फिर से सुमित को वहां बिठाती है, उसके सर पर हाथ रखती है, और जिसके बाद आखिरकार उसको सब कुछ पता चल जाता है। लेकिन वो नहीं चाहती थी सुमित की फैमिली के सामने सब कुछ बताना।

जिसके चलते वो उसके माता-पिता को अलग कमरे में भेजती है। वापस सुमित के साथ बैठती है और उसको वो सब कुछ बताती है कि तुझ पर वशीकरण किया गया है और वशीकरण पीरियड्स ब्लड को मिलाकर किया गया है। असल में जो औरत है यानी कि राधिका, वो खुद भी काला जादू करती थी। इस महिला ने बताया कि वो शैतान की पूजा ही करती थी।

और यही उसके पति को भी पता चला था, जिस वजह से उसने उसको तलाक दे दिया था। और जब अब राधिका ने उस शैतान की पूजा कर-कर के ही सुमित पर वशीकरण कर लिया था, तो वह आखिरकार उसकी सुरक्षा करना भूल ही गई थी, जिस वजह से यह एक्सीडेंट वाला परिदृश्य भी उसके साथ हुआ जिसमें उसका ड्राइवर बिल्कुल सुरक्षित था।

लेकिन राधिका की जान जा चुकी थी और ड्राइवर ने भी इसी तरह बताया उसको ऐसा लगा जैसे गाड़ी को किसी ने उठा के ही फेंक दिया हो। इस तरह का यह हादसा राधिका के साथ हुआ था। अब सारे दरवाजे सुमित ने जोड़ना शुरू कर दिया, जब वो समझ गया कि ये जो वशीकरण हुआ था ये उसके जन्मदिन वाले दिन ही हुआ था।

शायद वो जो ड्रिंक लेकर आई थी उसी में उसने कुछ मिलाया था जिसके बाद से ही सुमित के साथ चीजें बहुत बुरी तरह से बदल गई थीं। यह सब कुछ सुमित को बताने के बाद इस महिला ने सुमित की फैमिली को भी बाहर बुलाया जिसको उन्होंने बताया कि सुमित को मैंने बता दिया कि आखिरकार कारण क्या है, किसी महिला ने उस पर कुछ कर दिया था।

लेकिन अब सवाल यह था कि इसका समाधान क्या है? जिसने किया था, वो तो शायद जा चुकी थी, लेकिन उसकी जो आत्मा थी, वो अभी भी सुमित के साथ ही जुड़ी हुई थी। जो वशीकरण उसने सुमित पर किया था, उस वजह से वो जाकर भी जा ही नहीं पा रही थी, उसको मुक्ति मिल ही नहीं रही थी। आखिरकार उसका प्लान यही था सुमित को अपने साथ ही लेकर जाना।

ताकि वो इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह सके, दोनों साथ में ही, दोनों को साथ में ही मुक्ति मिले। लेकिन सुमित को अभी जीना था और इस महिला का यही काम था। इस महिला ने घर वालों से एक पानी की बोतल लाने को कही जिसमें उसने अपने बैग से कुछ तरल पदार्थ निकाला जिसकी दो से तीन बूंदें उसमें डालीं।

फिर उसमें अपनी तर्जनी उंगली डाली और थोड़ी देर कुछ मंत्र पढ़ना शुरू किए। उसके बाद यह बोतल उसने सुमित को सौंप दी, यह कहते हुए कि यह सारी की सारी बोतल एक ही बार में खत्म करो। सुमित ने वहां बैठे-बैठे ही यह सारा पानी पिया जिसके थोड़ी ही देर बाद उसको एक उल्टी हुई और यह जो उल्टी थी यह बिल्कुल लाल रंग की ही थी।

जो कि साफ समझ आ रहा था, शायद जो चीज उसको पिलाई गई थी, खिलाई गई थी, वही चीज निकल गई थी। यह उल्टी होते ही सुमित बहुत हल्का महसूस कर रहा था। उसको लग रहा था शायद उसकी छाती से कोई बोझ निकल गया है, और साथ ही इसके बाद ही इस महिला ने उनको बताया कि सुमित अब ठीक हो गया है।

थोड़ा समय लगेगा मानसिक रूप से भी इसको ठीक होने में। और इसके बाद भी सुमित 10 से 12 दिन अपने माता-पिता के साथ ही सोया। जिसके बाद उसको चीजें धीरे-धीरे सामान्य लगनी शुरू हुई। और अब जब इस घटना को लगभग डेढ़ से दो साल हो गए हैं, सुमित बहुत बेहतर महसूस करता है, अच्छा महसूस करता है और उसके साथ सब कुछ अच्छा है।

लेकिन एक जीवन का सबक है जो कि यह घटना हमें देकर जाती है कि कोई भी इंसान अगर आपको संदिग्ध लगता है, किसी भी इंसान के इरादे अगर आपको आपकी तरफ अच्छे नहीं लगते हैं, तो बेहतर आप जितनी दूरी उनसे बनाकर रखें उतनी दूरी बनाएं। अन्यथा हो सकता है आपको भी लगभग एक साल सुमित की तरह पीड़ित होना पड़े।

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