1980 का खौफनाक हर डेंजर एक्सपेरिमेंट: जब विज्ञान ने जगाई अनजानी बुराई Horror Story
हर डेंजर एक्सपेरिमेंट: जब विज्ञान ने जगाई अनजानी बुराई
एक रहस्यमय सरकारी प्रयोग जिसकी फाइलें आज भी छुपी हुई हैं
कुछ प्रयोग सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं होते
कुछ प्रयोग सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं होते, कुछ प्रयोग इंसानी समझ के भी होते हैं। आज मैं आपको एक ऐसे ही एक्सपेरिमेंट के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसका जिक्र सिर्फ कुछ छुपी हुई फाइलों में ही किया गया है। कुछ ऐसी फाइलें जिसे सरकार ने कभी आधिकारिक तौर पर नहीं माना है और जिसका कहीं भी दुनिया में कोई जिक्र नहीं किया गया है। ये फाइलें कभी दुनिया के सामने नहीं आनी चाहिए थीं, मगर शायद इसके बारे में लोगों को पता होना चाहिए ताकि वो फैसला कर सकें कि विज्ञान कभी-कभी अपनी सीमाओं को लांघ भी सकता है।
अस्सी के दशक का खौफनाक प्रयोग
यह कहानी शुरू होती है नब्बे के दशक के दौरान, जब एक कोक, अमेरिकन, रिसर्च फैसिलिटी में कुछ वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने मिलकर एक एक्सपेरिमेंट तैयार किया। जिसका उद्देश्य था प्योर इविल या फिर ऐसा कह सकते हैं शुद्ध बुराई का सामना करना और समझना कि क्या इंसान का मन उस बुराई को झेल सकता है? इस एक्सपेरिमेंट का नाम था 'हर डेंजर एक्सपेरिमेंट', मतलब एक ऐसा संकट जो किसी बड़ी मुसीबत के आने का बता दे और सच में यह एक्सपेरिमेंट एक बहुत ही बड़ी मुसीबत अपने साथ लेकर आया भी।
डॉक्टर रॉबर्ट हैम्ब्लिन और संवेदी अभाव
इस एक्सपेरिमेंट को सुपरवाइज कर रहे थे डॉक्टर रॉबर्ट हैम्ब्लिन, एक न्यूरोसाइकॉलॉजिस्ट जो एक्सट्रीम आइसोलेशन और ह्यूमन साइकी की लिमिट्स पर काम करते थे। डॉक्टर हैम्ब्लिन ने सजेस्ट किया कि अगर किसी इंसान को बिल्कुल अकेला कर दिया जाए, बिना रोशनी के, बिना साउंड के, बिना किसी संपर्क के, तो क्या वो अपनी मानसिक स्थिति बनाकर रख पाएगा? या फिर वो कुछ ऐसी चीजों को महसूस करने लगेगा जो कि इस दुनिया का हिस्सा भी नहीं हैं।
एक एयर टाइट रूम बनाया गया जिसे टोटल सेंसरी डिप्राइवेशन चेंबर कहते हैं। यानी कोई रोशनी नहीं, कोई आवाज नहीं, कोई टेम्परेचर शिफ्ट नहीं, सिर्फ अंधेरा, सन्नाटा और एक इंसान।
पहला विषय: थॉमस पिलर
अब जाहिर सी बात थी इस एक्सपेरिमेंट को करने के लिए सब्जेक्ट्स भी चाहिए थे। तो पहला था थॉमस पिलर। ये एक एक्स मिलिट्री ऑफिसर था जिसने एक्सट्रीम ऐसी कंडीशन झेली थी जो कि नॉर्मल इंसान नहीं झेलता है। वो एक एक्सट्रीम कंडीशंस को झेलने का अनुभव लेकर आए थे। उनसे एक हफ्ते के लिए एक चेंबर में रहने के लिए कहा गया और यह वही चेंबर था जो कि खास डिजाइन किया गया था। उन्हें कोई खास डाइट नहीं दी जाती थी और माइक्रोफोन और कैमरे से ही उन्हें मॉनिटर किया जाता था।
पहले दिन सब ठीक था। थॉमस नॉर्मल बर्ताव करता, डायरी लिखता। लेकिन तीसरे दिन से कुछ चीजें बदलने लगीं। वो किसी से बातें करने लगा। देखिए रूम में तो कोई था ही नहीं। उनकी डायरी में लिखा था "वो मेरे साथ है, वो मुझे छोड़ता ही नहीं है।" जब घर, जगह और सिर्फ ऐसा लग रहा था जैसे कि मानो उनके दिमाग में कोई है क्योंकि बार-बार उनसे उनके बारे में पूछ रहा है।
छटवें दिन तक थॉमस चिल्लाने लगा, उसने सीसीटीवी कैमरे पर चीखना शुरू कर दिया। "बंद करो, मुझे यहाँ से जाने दो।" उसने कहा था "वो सिर्फ मुझे दिखेगा, लेकिन अब वो अंदर आना चाहता है। मैं डर रहा हूँ, प्लीज मुझे यहाँ से निकालो।" हर जगह सिर्फ और सिर्फ उसके चिल्लाने की आवाज आ रही थी।
सातवें दिन जब रूम को खोला गया, थॉमस वहाँ नहीं था। सिर्फ लाल स्याही से जो कि उसका ही खून था, उसमें डायरी में लिखा हुआ था और रूम के कोनों में लिखा हुआ था एक ही चीज - "वो अब आज़ाद है।"
ये सब कुछ देखकर वैज्ञानिक डर चुके थे। इसके बाद प्रोजेक्ट को टेम्पररी सस्पेंड भी कर दिया गया।
डॉक्टर हैम्ब्लिन का दृढ़ निश्चय
लेकिन डॉक्टर हैम्ब्लिन रुकना नहीं चाहते थे। उनका यह मानना था कि यह पहली बार है कि कोई एनडीटी रिकॉर्ड हुआ है। उनके हिसाब से थॉमस ने किसी दूसरी दुनिया के दरवाजे को खोल दिया है। यह अपने आप में ही डरावना था, रहस्यमय था और मोस्ट इंपोर्टेंट चीज जिसके साथ यह और आधा सिर्फ वही जानता था कि उसके साथ आखिर क्या हुआ? और अब वो बताने के लिए वहाँ पर नहीं था।
दूसरा विषय: कालरा
खैर, दो महीने बाद एक और टेस्ट किया गया। इस बार सब्जेक्ट का नाम था कालरा, एक साइकियाट्रिक नर्स जिसे ट्रेन किया गया था कि वो हैलुसिनेशंस और स्ट्रेस को झेल सके। कालरा ने पहले पाँच दिन टॉलरेट किया। उसके बाद वो एक अजीब तरीके से बिहेव करने लगी। वो चिल्लाती, "मुझे आवाजें सुनाई देती हैं। ऐसा लग रहा है जैसे कि कोई मुझे छूने की कोशिश कर रहा है, कोई मुझे आवाजें दे रहा है, जैसे कि कोई याद दिला रहा है कि मैं यहाँ पर हूँ, मैं अकेली नहीं हूँ।" फिर वो धीरे-धीरे अपनी बात बंद करने लगती, लेकिन फिर एक झटके से वो चिल्लाने लगती और "मुझे ऐसा लगने लगता है जैसे कि मानो वो मेरे सर पे है, वो हर जगह है, मुझे नहीं पता पर वो है यहाँ पर।"
कैमरे दिखाते रहे, कालरा एक कोने में बैठी हुई थी, अंधेरों में उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन उसके माइक पर एक आवाज रिकॉर्ड हुई। वो आवाज एक आदमी की थी, जबकि उस रूम में कालरा के सिवाय कोई है ही नहीं, तो ये दूसरी आवाज कहाँ से आयी?
सातवें दिन कालरा अनकॉन्शियस हो गई। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन वो कुछ बोल ही नहीं रही थी। सिर्फ एक सेंटेंस उसके हाथों में लिखा था - "हर व्यंजर जाग चुका है। अब वो यहाँ से बाहर निकल गया है। वो किसी को नहीं छोड़ेगा।"
प्रयोग का अंत और रहस्यमय गायबियाँ
इसके बाद फाइनली सबको डर लगने लगा। चीजें अजीब होने लगीं। कई सारे लोग जो वहाँ पर काम कर रहे थे वो बताते कि उन्हें एक प्रेजेंस की, एक ऐसी आहट सुनाई देती जो उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करती। कानों में ऐसा लगता है जैसे कि मानो कोई आकर कुछ बोलकर गया हुआ है। इसके बाद एक्सपेरिमेंट बंद कर दिया गया। फैसिलिटी को सील कर दिया गया।
डॉक्टर हैम्ब्लिन ने रिपोर्ट में लिखा था, "We try to find evil in state we invented।" उसके बाद वो भी लापता हो गए। आज तक नहीं पता कि वो कहाँ हैं। इनफैक्ट, धीरे-धीरे करते हुए पूरी टीम गायब हो गई। गवर्मेंट ने ये सब कुछ छुपाने की कोशिश करी, डॉक्यूमेंट डिस्ट्रॉय किए, लेकिन शायद कुछ डॉक्यूमेंट सरवाइव कर गए। शायद और भी सारे लोग थे जो कि इस एक्सपेरिमेंट का पार्ट थे, शायद बहुत सारे सब्जेक्ट्स थे जो एक्चुअली इसका पार्ट थे, मगर आज उनके बारे में कुछ भी नहीं है। कोई डॉक्यूमेंटेशन नहीं है, नहीं पता उनके साथ क्या हुआ।
एक अनसुलझा रहस्य
इस हार्मेंजर एक्सपेरिमेंट को रोक तो दिया गया, लेकिन एटलीस्ट हमें ये पता है दो लोगों ने अपनी जान गवाई थी। टू हैव वेंज्ड एक्सपेरिमेंट कोई कहानी नहीं, एक सच है, शायद जो हम सब लोगों से छिपाकर रखा गया है। शायद ये किसी एक ऐसे फॉर्म की एंटिटी थी क्योंकि उस बोरी की पूरी प्लेस को हॉन्ट कर रही थी और एक्सपेरिमेंट्स के दौरान जो लोगों ने आवाजें सुनी, जो उन सब्जेक्ट्स ने आवाजें सुनी, जो सारी की सारी अजीबोगरीब डरावनी चीजें साइंटिस्ट ने महसूस करी, वो सारी की सारी चीजों का मीनिंग था शायद।
क्योंकि इसके बाद बहुत सारे लोग गायब हुए, बहुत सारे लोगों को गायब करवा दिया गया और इन सारी की सारी चीजों की लायबिलिटी कोई नहीं लेना चाहता। क्या पता वो एंटिटी कौन थी? शायद वो एंटिटी अब भी ये सब कुछ देख रही हो, लेकिन शायद किसी और के जरिए, कोई और अंधेरों में और ऐसा हो सकता है शायद इस पूरी किसी कोने में कोई साइंटिस्ट हो जो आज भी ऐसा कोई एक्सपेरिमेंट करने की चाह रख रहा हो। शायद वो साइंस से बियॉन्ड जाना चाहता हो, शायद वो जानना चाहता हो कि क्या होता है साइंस की उस वार्ड इस दुनिया के उस पार और क्या वो स्टिल इन एंटिटीज को जगाना चाहेगा? क्या वो चाहेगा वो उन चीजों को जगा सके जिसे वापिस कभी सुला ही नहीं पाए? शायद सारी की सारी चीजों के बीच में वो एंटिटीज हमेशा-हमेशा के लिए उस एक्सपेरिमेंट को चालू करने वाले को ही सुला दे। क्या पता?
इस एक्सपेरिमेंट में जो हश्र साइंटिस्ट का हुआ कहीं उनका भी वही ना हो जाए, कहीं हम जाने ही अनजाने ऐसे किसी एक्सपेरिमेंट का पार्ट तो नहीं? सवाल कई सारे हैं और इन सारी चीजों से भी क्रूशियल सवाल गवर्नमेंट ने क्यों ये करने की कोशिश करी? क्या मजबूरी थी कंट्री की गवर्नमेंट की कि उसे ऐसे एक्सपेरिमेंट को कोशिश भी करने के लिए अलाउ किया गया? ना वी डोंट नो। पर एक चीज तो तय है इस एक्सपेरिमेंट से बहुत ज्यादा लोगों की लाइफ बर्बाद हो गई। इसके बारे में आज भी हमें नहीं पता है।
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