2008 की भयानक रात: एक नर्स की आपबीती, सुनसान हाईवे और एक खौफनाक ट्रक ड्राइवर Horror Story
एक भयानक रात: एक नर्स की आपबीती
मेरा नाम समयरा है और मैं एक नर्स हूं। आज मैं आपको जिस भयानक घटना के बारे में बताने जा रही हूं, वह मेरे साथ 2008 में घटी थी। तब मेरा नर्सिंग करियर शुरू ही हुआ था। उस वक्त मैं जिस हॉस्पिटल में जॉब करती थी, वहां के डॉक्टर ने एक स्पेशल केस में एक बूढ़ी औरत के घर पर मेरी ड्यूटी लगा दी थी।
हम कई नर्सें थीं जो शिफ्ट वाइज उस बूढ़ी औरत के घर पर काम करती थीं। मेरी शिफ्ट रात में खत्म होती थी। रात के करीब आठ बजे उस बूढ़ी औरत का घर शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव में था। शहर से उस गांव तक की सड़क रात में हमेशा खामोश रहती थी। मेरे पास मेरे दादा की एक पुरानी कार थी, जिससे मैं उस बूढ़ी औरत के घर आती-जाती थी।
एक रात मैं उस बूढ़ी औरत के घर से निकलने में थोड़ी लेट हो गई। फिर जब मैं अपनी कार से हाईवे पर आई, तो हाईवे में मेरी कार खराब हो गई। मैंने सोचा कि शायद कोई गाड़ी आती दिखाई देगी तो मैं उससे शहर तक लिफ्ट ले लूंगी। मगर काफी देर तक कोई गाड़ी उस सड़क से नहीं गुजरी।
इसी बीच मैंने कई बार अपना फोन भी चेक किया, मगर फोन से नेटवर्क पूरी तरह से गायब थे। कुछ देर बाद मुझे दूर से किसी गाड़ी की हेडलाइट्स दिखाई दीं। उस गाड़ी से लिफ्ट मांगने के मकसद से मैं अपनी कार से नीचे उतरी और सड़क के करीब खड़ी हो गई। जब वह गाड़ी थोड़ा नजदीक आई तो मैंने देखा वह एक बहुत पुराने मॉडल का ट्रक था, जिसका पेंट भी पूरी तरह से मिट चुका था।
उस लोहे के ट्रक में पूरी तरह से जंग लगा हुआ था। पीली हेडलाइट वाला वह ट्रक ऐसा लग रहा था जैसे वह ट्रक सीधा किसी कबाड़खाने से आया हो। लिफ्ट मांगने का मेरा कोई इरादा नहीं था, मैं सड़क से पीछे हटकर अपनी कार में जाकर बैठ गई, लेकिन वह ट्रक सीधा मेरी कार के सामने आकर रुका।
मैंने उस ट्रक की तरफ नहीं देखा, मैं उसे इग्नोर कर रही थी, मगर तभी उस ट्रक का दरवाजा खुला और उसमें से एक आदमी कूदकर बाहर निकला। फिर वह सीधा मेरी कार की खिड़की के पास आया और झुककर कार की खिड़की से अंदर झांकते हुए बोला, "एक्सक्यूज मी मैडम, लगता है आपकी कार खराब हो गई है। अगर आप कहें तो मैं आपको शहर तक छोड़ सकता हूं।"
वह सिचुएशन ऐसी नहीं थी कि मैं उस आदमी का जवाब ना देकर उसे इग्नोर करूं। मैंने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा। वह एक 35-40 साल का आदमी था, जिसके गाल अंदर को घुसे हुए थे, चेहरे में हल्की दाढ़ी थी, आंखें भूरी थीं। उसने सिर पर कैप पहनी हुई थी।
मैंने उससे कहा, "अभी नो थैंक यू, मैं अपने हस्बैंड का इंतजार कर रही हूं। मैंने उन्हें कॉल कर दिया है, वह कभी भी आते ही होंगे।" वह ट्रक ड्राइवर बोला, "क्या सच कह रही हो?" मैंने कहा, "हां, वह बस कुछ मिनट में यहां पहुंचते ही होंगे।"
फिर वह ट्रक ड्राइवर बोला, "देखिए, अभी बेफिक्र होकर मेरे साथ आ सकती हैं। आप जहां कहेंगी मैं आपको ड्रॉप कर दूंगा। यह जगह ठीक नहीं है और यहां पर नेटवर्क भी नहीं है। आपके हस्बैंड आपको कॉल कर रहे होंगे, इससे अच्छा होगा आप मेरे साथ चलें, आगे चलकर नेटवर्क मिल जाएगा तो आप अपने हस्बैंड को बता दीजिएगा कि आप मेरे ट्रक में हैं। वैसे भी आपका पति आ रहा होगा तो हमें रास्ते में मिल जाएगा।"
न जाने क्यों मुझे उसकी बात ठीक लगी और वैसे भी मैंने अपने हस्बैंड वाली बात झूठ कही थी। उस सुनसान हाईवे में न जाने कब मुझे दूसरी कोई गाड़ी मिलती, इसलिए मैं अपनी कार से उतरी और उसके ट्रक में जा बैठी। उसने ट्रक स्टार्ट किया और शहर की ओर बढ़ा लिया।
काफी देर तक वह खामोशी से ट्रक चलाता रहा और फिर अचानक से बोल पड़ा, "वैसे तुम्हें इस तरह किसी अनजान आदमी से लिफ्ट नहीं लेनी चाहिए।" मैंने उसकी तरफ देखा, उसके चेहरे में एक गंभीर भाव था। फिर मेरी नजर उसकी सीट के पीछे गई और जो मैंने देखा वह देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
उसकी सीट के पीछे एक आदमी लेटा हुआ था, उसकी आंखें खुली हुई थीं और गला कटा हुआ था। फिर मैंने उस ट्रक ड्राइवर के हाथ की तरफ देखा, उसके हाथ में खून लगा हुआ था। अब मैं समझ गई थी कि इस ट्रक में बैठकर मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है।
लेकिन फिर मैंने अपनी घबराहट को छुपाते हुए उस ट्रक ड्राइवर से कहा, "हां, आपने सही कहा, मगर आप जैसा नेक दिल इंसान एक बार में ही पहचान में आ जाता है। इसलिए आपके ट्रक में बैठना मुझे सेफ ही लगा।"
उसके होठों पर एक मुस्कान उभरी। वह बोला, "मैं जानता हूं तुम डरी हुई हो। तुमने मेरी सीट के पीछे वह लाश देख ली है और इसीलिए यह बात बोल रही हो।" मैंने कांपती आवाज में कहा, "अभी मैं..." वह बोला, "बेफिक्र रहो, अगर तुम इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहोगी तो मैं तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक छोड़ दूंगा। बस यह वादा करो कि मेरे बारे में किसी को कुछ नहीं बताओगी। वह पहचानता हूं कि तुम रोज इसी रास्ते से आती-जाती हो और तुम्हारा कोई पति नहीं है जो तुम्हें लेने आने वाला है। मैंने तुम्हें पहले भी कई बार इस रास्ते में देखा है। आज उस रास्ते में खड़ा देखा तभी मैं तुम्हारे पास आया।"
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उस आदमी से डरूं या उसका विश्वास करके निश्चिंत होकर बैठ जाऊं। उस ट्रक में एक लाश पड़ी हुई थी और मेरे बगल में एक साइको किलर बैठा हुआ था, जो मुझे धमकी दे रहा था कि अगर मैंने किसी को उसके बारे में बताया तो वह अगली बार मुझे जान से मार डालेगा।
मैंने कांपती आवाज में कहा, "तो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी, बस आप मुझे यहीं पर उतार दो। मैं यहां से खुद चली जाऊंगी।" वह बोला, "नहीं, यहां पर नहीं। यहां सुनसान है, अंधेरा है। यहां से कुछ दूरी पर एक गैस स्टेशन है, मैं तुम्हें वहीं छोड़ दूंगा, वहां से तुम्हें कोई ना कोई गाड़ी वाला लिफ्ट दे देगा।"
उसके बाद वह आदमी एकदम खामोश होकर ट्रक चलाने लगा। मैं रह-रह कर अपने मोबाइल में देख रही थी। नेटवर्क तो आ चुके थे, मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि पुलिस को कॉल करूं या नहीं। अगर मेरे बगल में बैठे उस साइको किलर को पता चल गया कि मैंने पुलिस का नंबर डायल कर दिया है, तो वह मुझे भी मारकर ट्रक के पीछे डाल देगा। इसलिए मैं बस चुपचाप बैठी रही।
तभी कुछ दूरी पर मुझे कुछ रोशनी दिखाई दी। थोड़ा नजदीक पहुंचने पर देखा वह एक गैस स्टेशन था। उसे देखकर मेरी सांस में सांस आई। उस ट्रक वाले ने ट्रक उस गैस स्टेशन के सामने रोक दिया। मैं ट्रक से नीचे उतरने लगी तो वह आदमी मुझसे बोला, "वादा याद है ना, समयरा?" मैंने उसकी तरफ देखा। वह मेरी आंखों में गहराई से देख रहा था। वह मेरे जवाब का इंतजार कर रहा था। मैंने धीमी आवाज में कहा, "हां, मुझे याद है।"
उसके बाद मैं उस ट्रक से नीचे उतर गई। फिर वह ट्रक वहां से चला गया। मैं दौड़कर उस गैस स्टेशन में गई और स्टोर में जाकर सबसे पहले मैंने एक बोतल पानी लिया और एक घूंट पानी पीकर मैंने अपने भाई को कॉल करके बुलाया। थोड़ी देर में मेरा भाई आया और उसने मेरी घबराई हुई शक्ल देखकर मुझसे पूछा कि क्या हुआ?
मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसको क्या जवाब दूं, क्योंकि मेरे कानों में उस साइको किलर की वह आखिरी बात गूंज रही थी - "वादा याद है ना, समयरा?" उसको मेरा नाम भी मालूम था।
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