सुनसान MA Park Road पर हुई मेरी सबसे डरावनी मुलाकात
यह घटना कई साल पहले मेरे साथ हुई थी। मैं कॉलेज से वीकेंड के लिए घर जा रहा था और ग्रामीण सड़क पर गाड़ी चला रहा था। एक सड़क है जिसे MA पार्क रोड कहा जाता है। यह सड़क बहुत कम इस्तेमाल की जाती है और राज्य भी इसकी देखरेख नहीं करता है, लेकिन यह सड़क सफर के बीस मिनट बचा देती थी, इसलिए मैं अक्सर घर जाते समय इसी सड़क से जाता था।
मैं सड़क के उस हिस्से पर गाड़ी चला रहा था जो बिल्कुल सीधा था और उसके अंत में एक छोटा सा पहाड़ जैसा ऊंचा हिस्सा था। सड़क के दोनों तरफ छोटे गड्ढे और चारों ओर जितनी दूर तक देख सकते थे वहाँ तक छोटे-छोटे रेतीले झाड़ और पेड़ थे। मेरे ठीक आगे दिन के उजाले में, मैंने देखा कि कुछ छोटा सा जानवर सड़क पार कर रहा था।
वह शायद कोई खरगोश था। इसमें कोई अजीब बात नहीं थी। लेकिन फिर मैंने देखा कि उसका पीछा कौन कर रहा था। पहले तो दिमाग समझ ही नहीं पाया कि मैं देख क्या रहा था। वह बहुत लंबा था, कम से कम साढ़े छह फीट का, शायद उससे भी लंबा। उसका शरीर इतना पतला था कि लगभग कंकाल जैसा दिख रहा था। उसकी पसलियां साफ-साफ दिख रही थी।
और वह पूरी तरह से काले रंग का था। इतना काला कि उसकी कोई भी डिटेल्स मुझे दिख ही नहीं रही थी। वह बस एक साये जैसा लग रहा था। उसके पैर कुत्ते जैसे थे और उसके हाथ इतने लंबे थे कि लगभग जमीन को छू रहे थे। वह अपने दो पैरों पर चल रहा था। वह जिस तरह से दौड़ा, वह बहुत तेज और डरावना था।
वह ना तो किसी इंसान जैसा था और ना ही किसी ऐसे जानवर जैसा जिसे मैं जानता हूँ। वह पूरा मंजर तीन से चार सेकंड से ज्यादा नहीं चला। मेरे हाथ स्टीयरिंग व्हील पर कस गए थे और मैंने खुद को शांत रखने की कोशिश की। जब मैंने उस जगह पर पहुंचकर देखा जहाँ से वह सड़क पार कर गया था, तो मैंने चारों ओर नजर दौड़ाई, लेकिन वहाँ अब कुछ भी नहीं था।
मैंने कार को धीरे किया और सड़क के किनारे रोक लिया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं गाड़ी से बाहर निकला और सड़क के किनारे रेतीली जमीन और झाड़ियों की ओर देखने लगा। चारों ओर एक अजीब सी खामोशी थी। फिर मैंने जमीन पर कुछ निशान देखे। वह बड़े-बड़े पंजों के निशान थे, जैसे किसी कुत्ते के, लेकिन आकार में बहुत बड़े थे।
निशान काफी गहरे थे, इसका मतलब वह जो भी था बहुत भारी था, लेकिन देखने में वह बहुत हल्का और दुबला पतला लग रहा था। मैंने घुटने टेककर उन निशानों को गौर से देखा। ये निशान झाड़ियों की ओर जा रहे थे, लेकिन कुछ ही दूर जाकर ये निशान अचानक गायब हो गए। ऐसा लग रहा था जैसे वह चीज हवा में कहीं गायब हो गई हो।
मैं झट से खड़ा हुआ और महसूस किया कि मैं वहाँ अकेला और असुरक्षित महसूस कर रहा हूँ। चारों तरफ की ख़ामोशी मुझे अब और भी अजीब लग रही थी। मैंने आखिरी बार चारों तरफ देखा और फिर अपनी कार की ओर चलने लगा। और तभी मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे पीछे कोई है। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था।
लेकिन एक अजीब सी परछाई मुझे सड़क पर दिखाई दे रही थी। पहले तो मुझे लगा कि ये किसी पेड़ या झाड़ियों की प्राकृतिक छाया है। लेकिन उनमें से एक छाया कुछ ज्यादा ही अजीब लग रही थी। वो किसी पेड़ से या झाड़ी से जुड़ी हुई नहीं लग रही थी, बल्कि एक अजीब ही आकार की थी। अब मेरा सांस लेना मुश्किल हो गया था।
मैं धीरे-धीरे अपनी कार की ओर पीछे हटने लगा। बाकी सब छायाएं हिल रही थी, लेकिन वह सिर्फ एक, वह छाया हिली भी नहीं, लेकिन उसकी मौजूदगी इतनी डरावनी थी जैसे वह मुझे ही देख रही हो। मैंने तेजी से कार का दरवाजा खोला, अंदर घुसा और दरवाजा लॉक कर दिया। मेरे हाथ कांप रहे थे, लेकिन मैंने इंजन चालू किया और गाड़ी को वहाँ से भगा लिया।
पूरे रास्ते मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरा पीछा कर रहा हो। सड़क के किनारे हर छाया, हर हलचल मुझे डरा रही थी, लेकिन जब मैं रियर व्यू मिरर में देखता, मुझे वहाँ कुछ नहीं दिखता था। जब मैं घर पहुँचा, तब तक मैं पूरी तरह से डरा हुआ था। पहले तो मैंने इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताया।
लेकिन जब आखिरकार मैंने इस घटना को बताया, तो लोगों ने मेरी बातों को मजाक में उड़ा दिया। ज्यादातर लोग उसे नकारते हुए कहते कि वह उस रोड पर कई बार गए हैं और उन्होंने कभी भी कुछ भी ऐसा अजीब नहीं देखा। उनकी इस तरह के जवाबों ने मुझे और ज्यादा परेशान कर दिया। सालों बाद भी मैं उस घटना को समझने की कोशिश करता हूँ।
कहीं वह कोई घायल जानवर तो नहीं था? या कोई छाया जिसने मेरे दिमाग को धोखा दिया हो? लेकिन कोई भी व्याख्या मुझे संतोषजनक नहीं लगती। कभी-कभी मैं क्रिप्टेड्स यानि अज्ञात जीवों या अलौकिक घटनाओं के बारे में रिसर्च करता हूँ, लेकिन मुझे कभी कुछ भी ऐसा नहीं मिला जो उस प्राणी से मेल खाता हो। आज भी उस दिन की याद आते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
मैंने एमा पार्क रोड पर फिर कभी गाड़ी नहीं चलाई और मैं कोशिश करता हूँ कि सुनसान सड़क से हमेशा दूर ही रहूँ।
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