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Showing posts from May, 2025

जिस गेट को खोलना मना था: कोलाराडो में एक वेंडिगो से मेरा सामना

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मेरा नाम सिसको है। जब मेरे साथ ये घटना घटी तो मैं बस ग्यारह साल का था। मैं अपनी फैमिली के साथ कोलाराडो के पहाड़ों के पास रहता था। वो हमारा पुश्तैनी घर था। वो पूरा एरिया मेरे ही घर में आता था। और दूसरों का घर मेरे घर से काफी दूर था। मेरे घर के पीछे बड़े-बड़े पेड़ और पहाड़ थे जो जंगलों से ढके हुए थे, जो कि मुझको बहुत ही ज्यादा पसंद थे। हमारी फैमिली शहर से थोड़ा अलग रहती थी। घर में मेरी मम्मी, पापा और मैं ही रहते थे। पापा सुबह ऑफिस चले जाते थे और मैं और मम्मी पूरा दिन घर में अकेले रहते थे। उस वक्त मेरे स्कूल की छुट्टियां भी चल रही थीं। मेरे पास दो Saint Bernard कुत्ते भी थे, जिसमें से एक का नाम Joe था जो कि एक male dog था और दूसरे का नाम Cliff जो कि एक female dog थी। मैं पूरा दिन उन दोनों के ही साथ खेला करता था। वो दोनों मेरी बात बहुत अच्छे से मानते थे। Dad ने उनको मेरी safety के लिए रखा हुआ था क्योंकि अक्सर मैं खेलते हुए कभी-कभी जंगलों की तरफ चला जाता था। वहां पर जंगली जानवर बहुत थे, हालांकि मैंने कभी भी उनको देखा नहीं था। लेकिन पापा ने मुझको वहां जाने से मना किया हुआ था, इसलिए मैं उस ...

कॉलेज फेयरवेल के अगले दिन पता चला, मेरा दोस्त तो मर चुका था... तो मेरे साथ कौन था रातभर? | डरावनी कहानी

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सन उन्नीस सौ नब्बे पहाड़ियों के बीच में एक college था उसमें hostel भी था आज बहुत सारे लोग इस. कॉलेज से पढ़ाई पूरी कर गए. आपस में एक-दूसरे को अलविदा कह रहे थे. उन्हीं में से दो दोस्त हैं. शिवा और आदित्य. उन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी. साथ में एक दिन ही college में आए थे और आज दोनों अलविदा हो रहे थे. Aditya बहुत उदास था मानो वो घर जाना ही नहीं चाहता था और वो कहाँ रहता. Shiva को ये मालूम भी नहीं था दोनों ने गले मिलकर एक दूसरे को अलविदा किया Shiva ने अपने घर का पता Aditya को दिया और कहा आना मेरे घर छुट्टियों में. हम खूब मजे करेंगे मैं तुम्हें गाँव घुमाऊँगा और बहुत मस्ती करेंगे लेकिन Aditya वो उदास ही रहा तभी Shiva बोला चल उदास मत हो हम. friend है यार चल तू अपना पता दे दे मैं कभी आ जाऊँगा तुझसे मिलने Aditya बिना कुछ कहे वहाँ से चला जाता है सिवा सोचता है कि उसे कोई लेने भी नहीं आया. इस वजह से वो उदास है कुछ घंटे बाद Shiva कोले ने Shiva के चाचा जी आ जाते है गाड़ी लिए Shiva के चाचा जी Shiva को गाड़ी में बैठने को कहते है. अब तक शाम हो चुकी थी चाचा के साथ शिवान निकल लेता है गाड़ी में बैठ...

कोरोना काल का अनसुलझा रहस्य: जब मरा हुआ आदमी आया नौकरी पर!

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ये वो समय था जब कोरोना वायरस का संक्रमण चारों तरफ फैला हुआ था. हर आदमी इस संक्रमण से बचने की कोशिश कर रहा था. लेकिन कोरोना वायरस किसी ना किसी को अपनी चपेट में ले ही लेता था. एक फैक्ट्री में रमेश नाम के एक व्यक्ति काम करते थे. वो अपनी ड्यूटी के प्रति बहुत ही समर्पित. है फैक्ट्री के कर्मचारी रमेश का व्यवहार फैक्ट्री के मालिक को ही नहीं बल्कि फैक्ट्री में काम करने वाले हर एक कर्मचारी को पसंद आता था वो हंसमुख स्वभाव वाला था. लॉकडाउन घोषित हुआ तो फैक्ट्रियां बंद हो गई. सारा कामकाज ठप हो गया. दो-तीन महीने में तो फैक्ट्रियों ने अपने कर्मचारियों को घर बैठे वेतन दिया. लेकिन बिना काम के फैक्ट्री में ऐसा कितने दिन चल पाता इसलिए आप फैक्ट्रियों ने अपने कर्मचारियों को वेतन देना भी बंद कर दिया। फिर जहाँ रमेश काम करता था. उस factory में भी दो तीन महीने बाद वेतन देना बंद कर दिया। Ramesh इस कारण lockdown के दौरान फैक्ट्री द्वारा वेतन ना दिए जाने के कारण बहुत ही मायूस रहने लगा. वो पारिवारिक जिम्मेदारियों के बढ़ते तनाव से जूझने लगा था। लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा था। और लॉकडाउन और भी बढ़त...

मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर जिन्होंने मेरी मदद की वो लोग जिंदा ही नहीं थे

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आज उस बात को सात साल बीत गए हैं लेकिन फिर भी वो रात आज भी मुझे इस तरह से याद है जैसे कल की ही बात हो. मेरा नाम Rahul है उम्र चौंतीस साल काम है photographer और काम के सिलसिले में मुझे यहाँ वहाँ घूमना पड़ता है क्या पता कहाँ अच्छी तस्वीर मिल जाए. तो ये बात तब की है जब मुझे नया नया चस्का लगा photography का वैसे मैं engineering कर रहा था पर मेरा मन किसी और काम में था घर पर काफी ज्यादा डाँट फटकार. थे शौक को अपना career बनाने का पर वो कहते है ना ज़िद है बस और हम बन गए जो हम बनना चाहते थे ताकि मरते समय ये बात दिमाग में ना. जाए कि जो हम करना चाहते थे वो कर ही नहीं पाए. खैर पर आज जो मैं बताने जा रहा हूँ वो बात मुझे आज भी खाती है. मुझे किसी ने बताया. कि मेरे शहर से करीब दो सौ किलोमीटर दूर एक जंगल है जिसमें मुझे कई खूबसूरत तस्वीरें मिल सकती हैं. और ये खूबसूरत तस्वीरें मुझे रात के समय में मिलेगी. और हम भी अपना झोला झंडा उठाकर निकल पड़े पहले train फिर bus और फिर auto का सफर काफी थका देने वाला था काफी रात में मैं वहाँ पहुँचा. लेने की हिम्मत नहीं थी तो रात को forest department वालों के guest house ...

जंगल में काला जादू का गड्ढा खोदा और एक अनदेखी ताकत पीछे पड़ गई

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उस वक्त कुछ बच्चे खेलते-खेलते उस जगह को खोदने लगते हैं. मैं अपने एक दोस्त के साथ उसी तरफ से जा रहा था. मेरी नजर उन बच्चों पर पड़ी. पास जा के देखा तो उन्होंने दो फीट गहरा गड्ढा कर दिया. गड्ढे में एक polythene के अंदर कुछ सामान बांधा हुआ था। हमें देखते ही वो बच्चे भाग गए। हमने गड्ढे में देखा एक polythene के नीचे मरा हुआ कौवा पड़ा था। उसकी आँख से बहता खून अभी भी ताज़ा था। दोस्त ने कहा ये जंगल में किसने दबा. होगा इसे polythene के अंदर काली चीजें थी जैसे लौंग, काली मिर्च, राई के दाने काली दाल और काला धागा ये देखते ही हम दोनों आगे बढ़ गए क्योंकि ऐसी चीजों में हाथ डालना ठीक नहीं होता। जितना दूर रहो उतना अच्छा है. थोड़ा आगे जा के मैंने उसे रोका यार ये बच्चे यहाँ कैसे आए होंगे? दोस्त ने कहा छोड़ ना यार नहीं भाई एक काम करते हैं उस गड्ढे में वापस से मिट्टी डाल के आ जाते हैं दोस्त के मना करने के बाद भी मैं वहाँ पे चला गया और मेरे पीछे-पीछे. आ गया उसने कहा जो भी करना है थोड़ा जल्दी कर अँधेरा होने वाला है मैं गड्ढे के पास जाके रुक गया और नीचे देखते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी दोस्त आ के कहता...

रात साढ़े बारह बजे के बाद हाईवे का खौफनाक राज: ढाबे वाले ने बताई भूतिया औरत की कहानी

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संदीप को आज घर जाने में देरी हो गई थी क्योंकि आज दिन से ही बारिश हो रही थी. आज संदीप का काम भी अच्छा ही चल रहा था, वह highway पर समोसे बेचा करता है. Sandeep ने अपने ढाबे का सारा काम निपटाकर बर्तन वगैरह साफ किए तो लगभग रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे. Sandeep और उसका दोस्त Rahul दोनों एक साथ partnership में समोसे बेचा करते थे. दोनों का घर भी एक दूसरे के घर के आसपास ही था और highway से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर था. संदीप के पास एक मारुती एट हंड्रेड कार थी. दोनों उसी कार में ढाबे पर सुबह दस बजे तक आ जाते हैं और अक्सर रात को आठ या साढ़े आठ बजे तक घर के लिए निकल जाते थे. पर आज, बारिश की वजह से इन दोनों को देर हो गई थी. संदीप अपनी गाड़ी के पास गया और गाड़ी स्टार्ट करने लगा. लेकिन गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी. सुबह से बारिश थी और अभी ठंड भी काफी थी, इसी वजह से भी गाड़ी शायद start नहीं हो रही थी. Sandeep ने कोशिश तो बहुत की लेकिन गाड़ी start होने का नाम नहीं ले रही थी. तभी Sandeep ने Rahul को धक्का मारने के लिए कहा. Sandeep के बोलने के बाद Rahul गाड़ी से नीचे उतरा और धक्का लगाना शुरू...

साहिल की रात की भूख और उस कबाब स्टॉल का गहरा राज

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साहिल आधी रात को अंजान रास्तों पर अपनी गाड़ी भगाए जा रहा था। उसे इस शहर में शिफ्ट हुए सिर्फ पाँच दिन ही हुए थे। कंपनी के नए ब्रांच में काम का भारी वर्क लोड होने की वजह से उसे पिछले दिनों में घर से ऑफिस और ऑफिस से घर के रास्ते के अलावा कहीं और भटकने का मौका नसीब नहीं हो सका था। यूँ तो आज का दिन भी बाकियों से कुछ अलग नहीं था। लेकिन आज भूख के नाम पर उसके पास दूसरी सड़कों को छान मारने का वाजिब कारण था। लिहाजा, जिस वक्त तक आधे से ज्यादा शहर काम से फारिक होकर बिस्तर में पड़े-पड़े फोन की स्क्रीन नापता है, वो शहर की सड़कें नाप रहा था पिछले पौने घंटे से। मनचाही जगह न मिलने की झुंझलाहट उसके चेहरे पर दिखाई देने लगी थी। थक हार कर उसने घर जाने वाले दूसरे रास्ते पर गाड़ी मोड़ ली। कि तभी एक जानी पहचानी खुशबू ने उसे ब्रेक पर दबाव बढ़ाने पर मजबूर कर दिया। खुशबू का केंद्र एक छोटे से फ़ूड स्टॉल की शक्ल में उसके सामने था। जिसके आगे कुछ टेबल कुर्सी पूरे सेटअप को किसी मिनी ढाबे का रूप देने की नाकामयाब कोशिश की गई थी। 'आइए साहब,' साहिल के करीब पहुँचते ही स्टॉल के पीछे से आवाज़ आई। 'गरमा गरम ...

नजफगढ़ की वो खौफनाक रात: जब Papa रात 12 बजे

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मेरा नाम युवराज है. मैं दिल्ली के नजफगढ़ से बिलोंग करता हूँ. आज मैं आपको अपने परिवार की एक बिल्कुल अच्छी कहानी के बारे में बताने जा रहा हूँ. असल में ये बहुत साल पहले की बात है और ये सब मेरे पापा के साथ हुआ था जो वो इलेवंथ क्लास में पढ़ा करते थे. आज तो ये एरिया बहुत डेवलप हो चुका है लेकिन उन दिनों नजफगढ़ इतना डेवलप नहीं था. बस किसी गांव की तरह ही हुआ करता था. लाइट भी बस तीन-चार घंटे ही आया करती थी. तो एक बार ऐसा हुआ कि मेरे जो चाचा थे जो कि मेरे पापा से दस साल छोटे थे उनको अचानक से कोई बीमारी हो गई जिसकी वजह से हर वक्त उनकी तबीयत खराब रहती थी और उन्हें किसी भी समय दौड़े पड़ने लगते थे. उनको बहुत से डॉक्टर्स को भी दिखाया लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनको क्या बीमारी हो गई है? चाचा का स्वभाव बहुत चिड़चिड़ा हो गया था. और कई बार तो वो बिल्कुल काबू से भी बाहर हो जाते थे. मेरी दादी भूत-प्रेतों और देवी-देवताओं को बहुत मानती थी इसलिए दादी को पक्का यकीन था कि चाचा के ऊपर कोई ऊपरी परेशानी हो गई है. तो जब बहुत से डॉक्टर्स को दिखाने के बाद भी चाचा को कोई आराम नहीं मिला तो एक दिन मेरी दादी चाचा...

मलेरकोटला के पास उस गाँव में जिन्न का खौफ: पेड़ काटने पर लिया ऐसा भयानक बदला!

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मेरा नाम परविंदर है। मैं पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारे गाँव से करीब पैंतीस-चालीस किलोमीटर दूर एक शहर है, मलेरकोटला नाम से। उस शहर में ज्यादातर मुस्लिम्स रहते हैं और ये पंजाब का एक बहुत ही बड़ा शहर है। इसी शहर के पास एक गाँव पड़ता है, जिसका नाम तो मैं आपको नहीं बताऊंगा, लेकिन इसका नाम एफ से शुरू होता है। ये गाँव मलेरकोटला से करीब आठ-दस किलोमीटर दूरी पर है। तो एक बार ऐसा हुआ कि मेरे गाँव में मेरे कुछ मुस्लिम फ्रेंड्स हैं जिनके रिश्तेदारी उसी गाँव में पड़ती है। मेरे वो दोस्त मुझे अक्सर बताते थे कि उस गाँव में एक जिन्न रहता है, लेकिन मैं कभी उनकी बातों को सीरियस नहीं लेता था। साथ ही बता दूँ कि मेरे पापा और भाई पिछले कई सालों से सऊदी में रह रहे हैं। और मैं भी अभी कुछ टाइम पहले यहाँ पर शिफ्ट हुआ हूँ। यहाँ मेरे भाई का एक दोस्त भी है जो उसी के साथ रहता है। तो एक दिन मैंने अपने भाई के उस दोस्त से पूछा कि क्या ये बात सच है कि उस गाँव में जिन्न रहता है? वो बोला, "हाँ, ये बात बिलकुल सच है।" और फिर उन्होंने मुझे वो पूरी कहानी बताई। उन्होंने बताया कि ये साल दो हज़ार के आसपास की बात...

ट्रक ड्राइवरों की चेतावनी न मानी और रात में भूतिया हाईवे पर फंस गया | मेरा खौफनाक अनुभव

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मुझे काम के सिलसिले में सफर करना पड़ा था, सफर लंबा था. शहर से दूसरे शहर में जाना था. वैसे कभी मैं रात में सफर नहीं करता हूँ लेकिन घर के कामों में इतना busy था कि कब शाम हो गयी पता नहीं चला और फिर मजबूरन मुझे रात के वक्त निकलना पड़ा. सफर पर निकलने के लिए मैं highway पर आ गया. कुछ घंटों के सफर के बाद मुझे लगा कि रुक कर थोड़ा चाय वगैरह पी जाए. एक ढाबा मुझे रास्ते में नज़र आता है, मैं वहाँ गाड़ी रोकता हूँ, fresh वगैरह हो के. ढाबे पर बैठता हूँ और चाय के order के साथ साथ कुछ खाने को भी मँगवा लेता हूँ. चाय आती है और जब मैं चाय पी रहा था तब कुछ लोग मुझे बड़े अजीब तरीके से देख रहे थे. मैंने थोड़ा ध्यान से देखने की कोशिश की तो देखा कि वहाँ जितने भी लोग थे सारे ट्रक ड्राइवर और उनके हेल्पर नजर आ रहे थे. ढाबे की पार्किंग में भी ट्रक ही ट्रक खड़े थे. उन लोगों को ऐसे देख मैं थोड़ा अनकंफर्ट. हो जाता हूँ कि ऐसे मुझे क्यों देख रहे हैं. काफी देर तक मैं ये चीज notice करता हूँ. और इतने में एक बंदा मेरे पास आ के बैठता है. वो बात करने की हिम्मत करता है, मैं भी बात करने को तैयार था. मैं कहता हूँ कि आप कुछ ...

एक रिटायर्ड वन रेंजर का सबसे डरावना अनुभव: जंगल का खौफनाक किस्सा (A Retired Forest Ranger's Most Scary Experience: A Terrifying Forest Tale)

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मेरा नाम रोज़र है और मैं मिनसोटा से हूँ। मैं एक retired forest ranger हूँ। मैंने अपने तीन दशकों का अधिकांश हिस्सा अमेर. forest service के कानून प्रवर्तन और जाँच विभाग में बिताया है। retirement के बाद मेरे पास बहुत खाली समय है, इसलिए मैं आपको एक किस्सा सुनाने जा रहा हूँ जो शायद आपको interesting लगेगा। ये थोड़ा अजीब है कि मुझे ये किस्सा बताने की इतनी उत्सुकता हो रही है क्योंकि ये कुछ ऐसा नहीं है जिसे ज्यादातर लोग सुनना चाहते हैं। पहले मैं ये सोचता था कि इतने सारे लोग अपने बुरे अनुभव क्यों share करना चाहते हैं। लेकिन बाद में मुझे समझ आया कि ये वो चीजें हैं जिनके बारे में आप dinner table पर बैठकर समाज में नहीं बता सकते क्योंकि लोग आप को पागल समझेंगे। मैंने किसी को व्यक्तिगत रूप से ये कभी नहीं पूछा कि आपके साथ अब तक का सबसे डरावना अनुभव क्या था क्योंकि लोग जानना ही नहीं चाहते, कम से कम वो लोग जिनसे मैं जुड़ा रहा हूँ। लेकिन फिर भी ये बातें आप किसी ना किसी से share ज़रूर करना चाहते हैं। अपने वो experience किसी को बताना चाहते हैं और आशा करते हैं कि वो आपको पागल ना समझे। तो बात को और बिना...

जब सपनों के शहर Mumbai में हुआ डरावना सामना और Rishikesh के एक मंदिर ने खोली रहस्यमयी दुनिया के द्वार: असली अनुभव

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सपनों का शहर कहा जाने वाला Mumbai, कितने लोग वहाँ जाते हैं। लड़का जो अच्छी खासी जिंदगी बिता रहा था। माँ काम था उसके पास, वो busy रहता था। ऐसे ही एक रात वो अपनी scooty से जा रहा था। अचानक scooty कुछ भारी सी होने लगी। अब होने को कुछ भी हो सकता है। क्या पता scooty में कोई दिक्कत आ गयी हो या क्या पता उस रास्ते पर कोई उसका इंतज़ार कर रहा हो। अभी पिछले साल नवंबर की बात है। रमन नाम का एक लड़का पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी कर रहा था। दिनभर कॉलेज में पढ़ाई के बाद वो घर से कुछ किलोमीटर दूर एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। उसकी शिफ्ट शाम से शुरू होकर देर रात तक चलती थी। Raman ने office आने जाने के लिए EMI पर scooty खरीदी थी। रात की ठंडी हवा में गाड़ी चलाने का मजा ही अलग होता है। तो Raman highway से होता हुआ जाता था। एक तो वहाँ एक scooty speed में चला सकता था और सीधा रास्ता होने की वजह से ज्यादा परेशानी नहीं होती थी। पर एक दिन जब रोज रोज इस high. bore होने के बाद सोचा कि क्यों ना एक नए रास्ते से जाया जाए। highway से थोड़ा पहले एक रास्ता था जो उसके घर की direction में जाता था तो वो उस रास्ते से...

सुनसान रास्ते का वो खौफनाक राज़: एक सच्ची चुड़ैल की आपबीती

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मेरा नाम अमन है। पूरा नाम अमन खान। मैं एक बहुत ही सफल बिजनेसमैन हूँ। मेरी एक बीवी है और दो छोटे-छोटे बच्चे। आप कह सकते हैं कि बहुत ही प्यारी family, complete family है मेरी। अजीब इसलिए लगता है क्योंकि मेरे साथ ही वो घटना घटी जिसे मैं आज तक नहीं भुला पाया। वो हर समय मेरे जहन में तैरती रहती है। मेरी उम्र पैंतालीस साल है और मेरी शादी चालीस साल की उम्र में हुई थी। मैंने शादी इतनी late क्यों करी? उसके पीछे भी एक बहुत बड़ी वजह या फिर आप कह सकते हैं कि ये घटना आज भी वो घटना वो हादसा मेरे दिमाग में ही है। जब भी रात में मैं सोता हूँ, तो हादसा मेरे सपनों में आज भी आता है। आज भी जब मैं किसी सुनसान रास्ते को देखता हूँ, तो मेरे पूरे जिस्म में सिहरन पैदा होने लगती है। आप कह सकते हैं कि मैं पूरी तरीके से डर जाता हूँ। आज भी मैं सुनसान रास्तों पर अकेला नहीं जाता। बात उन्नीस सौ नब्बे की है। ये वो दौर है जिसे लोग आज भी याद करते हैं। मैं तो कभी चाहकर भी नहीं भूल सकता। मैं अपने घर का इकलौता लड़का था। आप समझ सकते हैं कि अपने माँ-बाप की इकलौती औलाद। मेरे माँ-बाप ने मुझे बहुत ही नाज़ों से पाला था। उसका अं...